ग्रीनपार्क स्टेडियम से छिन सकता है यूपीपीएल का दूसरा संस्करण

- यूपीपीएल पर बकाया है पांच करोड़ रुपया, इकाना स्टेडियम कर सकता है मेजबानी

कानपुर, 28 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश ट्वेंटी 20 लीग (यूपीपीएल) का दूसरा संस्करण कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम के बजाय लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम में खेले जाने की सम्भावना प्रबल हो गयी है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि पिछले सीजन का पांच करोड़ रुपया यूपीपीएल पर बकाया है। यूपीपीएल राज्य सरकार से बकाया रुपया माफ कराने की जुगत में है।

बतातें चलें कि पिछले वर्ष अगस्त-सितम्बर में आयोजित यूपीपीएल का पहला संस्करण कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में खेला गया था। उक्त स्टेडियम का मैदान बुकिंग शुल्क 10 करोड़ रुपये था और यूपीपीएल की ओर से पांच करोड़ रुपया जमा कर दिया गया है, लेकिन अभी पांच करोड़ रुपया बाकी है। इसको लेकर राज्य सरकार पर पहल की जा रही है कि पांच करोड़ रुपया माफ हो जाये, जिसकी सम्भावना कम है। ऐसे में अगला संस्करण लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम में होने की प्रबल सम्भावना है।

यूपीसीए के अधिकारियों का कहना है कि वास्तव में यह हमारे लिए पैसा कमाने का व्यवसाय नहीं है। यह केवल राज्य के खेल और युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए है। राज्य सरकार को भी छूट देकर राज्य में क्रिकेट के विकास में योगदान देने की जरूरत है।

गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा यूपीसीए को अग्रिम किराया भुगतान करने के लिए कहने के बाद पिछले साल इसके पहले संस्करण के दौरान कार्यक्रम के स्थगित होने की आशंका थी। राज्य सरकार और यूपीसीए में सम्बंधित अधिकारियों के साथ बैठकों और पत्राचार की एक श्रृंखला के बाद आयोजकों को पहले कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी गई और किराए के मुद्दे पर चर्चा के लिए देरी की गई। एक अधिकारी ने कहा, भले ही यूपीसीए अपना आयोजन कानपुर से कहीं और स्थानांतरित कर दे, इससे राज्य सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 2015 से दोनों पक्षों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) में सब कुछ पहले से पंजीकृत है।

सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार, यूपीसीए अगस्त 2015 से उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय को प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये का भुगतान कर रहा था। 2020 में वार्षिक किराया बढ़ाकर 1.25 करोड़ रुपये कर दिया गया और 2025 में यह राशि बढ़कर 1.37 करोड़ रुपये हो जाएगी क्योंकि हर पांचवें वर्ष 25% बढ़ोत्तरी का प्रावधान है।

इसके अलावा प्रति वर्ष 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। यूपीसीए कार्यालय कर्मचारियों के वेतन और रखरखाव कार्य सहित अन्य खर्चों पर भी प्रति वर्ष लगभग 50 लाख रुपये खर्च करता है। यूपीसीए को घरेलू मैचों के लिए भी सरकार को मैच फीस का भुगतान करना होगा। हालाँकि, क्रिकेट संस्था के कुछ सदस्यों का मानना है कि सालाना इतना पैसा खर्च करना लाभकारी नहीं था, तब भी जब यूपीसीए को आयोजन स्थल पर कई अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी नहीं मिल रही थी।

यूपीसीए की ओर से प्रतिनिधित्व कर चुके एक पूर्व खिलाड़ी ने बताया कि जैसा कि अब यूपीसीए के पदाधिकारी बतातें है कि ग्रीन पार्क स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं नहीं हैं, ऐसा बिल्कुल भी प्रतीत नहीं होता है। अगर वह भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी का अवसर खो देता है, तो यूपीसीए के अधिकारियों को इसका दोष अपने सिर पर ले लेना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/विद्याकांत

   

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