छतरपुर को शराब से 250 करोड़ रुपये की राजस्व आय

छतरपुर, 1 अप्रैल (हि.स.)। जिले में एक अप्रैल 2024 से नए शराब ठेके आवंटित कर दिए गए हैं। सात समूह के अंतर्गत जिले भर की 93 कम्पोजिट दुकानें 6 अलग-अलग कंपनियों को आवंटित हुई हैं। आबकारी विभाग ने छोटे और मझोले शराब ठेकेदारों के द्वारा फीस दिए जाने में की जाने वाली आनाकानी से परेशान होकर इस बार नए फार्मेट पर शराब दुकानों को आवंटित किया है। पहले जिले की 93 दुकानें 23 समूह के अंतर्गत आवंटित होती थीं लेकिन अब 7 समूह के अंतर्गत ही सभी दुकानें आवंटित की गई हैं। अब आबकारी विभाग को 7 समूह के लिए कुल 6 ठेकेदारों से ही लाईसेंस फीस जमा करानी है। ये ठेके नवीनीकरण पद्धति से हुए हैं। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष आबकारी विभाग का राजस्व लगभग 2 करोड़ रूपए घटा है। पिछले साल जहां सभी दुकानें 252 करोड़ रूपए में आवंटित हुई थीं तो वहीं इस बार जिले के शराबी लगभग 250 करोड़ रुपये की शराब पीएंगे।

कहां किसको ठेका, कितना महंगा

आबकारी विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बड़ामलहरा समूह का ठेका सुनीता राय के नाम पर गया है। उन्होंने 42 करोड़ 42 लाख रूपए में यह ठेका प्राप्त किया है। छतरपुर समूह क्रमांक 2 और लवकुशनगर समूह की अधिकांश दुकानें महाकाल एसोसिएट संटू पाण्डेय के द्वारा ली गई हैं। छतरपुर समूह 36 करोड़ 55 लाख और लवकुशनगर समूह 34 करोड़ 55 लाख रूपए में आवंटित हुआ है। इसी तरह छतरपुर का समूह क्रमांक 1 शिवम मिश्रा के द्वारा लिया गया है जो कि 33 करोड़ 59 लाख रूपए में आवंटित हुआ है। खजुराहो समूह मेसर्स स्मृति एसोसिएट्स के द्वारा लिया गया है जो कि 38 करोड़ 58 लाख रूपए में आवंटित हुआ है। नौगांव समूह आईस ओल्ड ट्रेडर्स के नाम पर 31 करोड़ 73 लाख में आवंटित हुआ है। इसी तरह बिजावर समूह बालाजी इंटरप्राइजेज के नाम पर 24 करोड़ 92 हजार में आवंटित हुआ है।

सस्ती शराब के लिए दुकानों पर लगी कतारें

31 मार्च को पिछले शराब ठेके खत्म होने वाले थे इसलिए पुराने ठेकेदारों ने अपना स्टॉक खत्म करने के लिए मार्च के आखिरी सप्ताह में शराब के दामों में काफी गिरावट कर दी थी। 31 मार्च को तो आधे से कम रेट पर ही शराब की बोतलें बेची गईं। इन्हें खरीदने के लिए शराब के ठेके पर सुबह से रात तक शराबियों का जमघट लगा रहा। शराबियों ने सस्ती शराब के चक्कर में एक-एक पेटी से ज्यादा शराब खरीदकर जमा कर ली।

- जिला आबकारी अधिकारी बीआर वैद्य का कहना है कि छोटे ठेकेदार लाईसेंस फीस के लिए परेशान करते थे इसलिए हमें पिछले साल की लाईसेंस फीस अभी तक जमा करानी पड़ रही है। इसलिए इस बार दुकानों को बड़े समूहों में विभाजित किया गया है। लगभग 250 करोड़ रूपए की राजस्व आय छतरपुर जिले से इस वर्ष होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/सौरभ भटनागर/मुकेश

   

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