धर्मांतरण देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा : अनुपम मिश्रा

लखनऊ, 02 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर, कौशांबी तथा जौनपुर में ईसाई मिशनरियों द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने की घटनाएं देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा है।यह बातें मंगलवार को राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कही है।

उन्होंने अपने जारी एक बयान में कहा है कि धर्मांतरण की उपरोक्त तीनों घटनाओं से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम’ लागू होने के पश्चात भी ईसाई मिशनरियां कितनी सुनियोजित व गुपचुप तरीके से धर्मांतरण की घटनाओं को अंजाम देने में लगी है। ऐसी घटनाएं संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के अंर्तगत धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध होने के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा ख़तरा हो सकती है।

अनुपम मिश्रा ने कहा कि संविधान की उद्देशिका और मौलिक अधिकारों के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25-28 तक के उपबंध धर्म और उपासना में न केवल समानता की प्रत्याभूति देते हैं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को इस बात की स्वतंत्रता है कि वह अपनी इच्छा से किसी भी धर्म अथवा उपासना की पद्धति को अपना सकता है किंतु इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि लोगों को लालच या दबाव बनाकर उनका मतांतरण कराया जाए! स्टेनिसलास बनाम मध्य प्रदेश राज्य AIR- 1970 एससी -908 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करना आपराधिक कृत्य माना जाएगा।

उन्होंने कहा कि धर्मांतरण की घटनाएं मूलत: शहर से दूरदराज के उन क्षेत्रों में अधिक हैं जहां लोग अशिक्षित व आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ऐसे लोगों को लालच और उनकी अज्ञानता का लाभ उठाकर उन्हें बरगलाकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए विवश किया जाता है।

उन्होंने कहा कि अशिक्षित वह आर्थिक रूप से विपन्न लोग इनके प्रलोभनों में आकर धर्म परिवर्तन के लिए हामी भर देते हैं। सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के साथ ही इस विषय की गंभीरता को समझते हुए ऐसी संस्थाओं व व्यक्तियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि ऐसे धर्मांतरण से सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।

हिन्दुस्थान समाचार/मोहित/राजेश

   

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