क्रोधित होकर देवी मां ने पहाड़ को कोढ़ी होने का श्राप दिया था

बांदा, 08 अप्रैल (हि.स.)। बुंदेलखण्ड के बांदा जनपद के खत्री पहाड़ पर मां विंध्यवासिनी के विराजमान होने की पौराणिक मान्यता किंवदंती पर आधरित है। लोगों का मानना है कि भार सहन करने में असमर्थता जाहिर करने पर क्रोधित होकर देवी मां ने पहाड़ को कोढ़ी होने का श्राप दिया था। पहाड़ के उद्धार के लिए नवरात्र में देवी मां सिर्फ एक दिन ही यहां विराजमान होती हैं।

बुंदेलखण्ड में बांदा जनपद के गिरवां थाना क्षेत्र के जंगली इलाके में स्योढ़ा गांव के खत्री पहाड़ की चोटी पर मां विंध्यवासिनी का मंदिर है। यहां नवरात्र के अवसर पर प्रसिद्ध मेला लगता है। दूर- दराज से लोग अपने बच्चों के मुंडन के अलावा अन्य मन्नतें पूरी होने पर ध्वजा-नारियल का चढ़ावा चढ़ाने आते हैं।

देवी मां के इस सफेद पहाड़ पर विराजमान होने की पौराणिक मान्यता पूरी तौर से किंवदंती पर आधारित है। लोगों का मानना है कि देवी मां के श्राप से यह पहाड़ कोढ़ी यानी सफेद हो गया है। पनगरा गांव के पत्रकार विनय निगम बताते हैं कि मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर में विराजमान होने से पहले इस खत्री पहाड़ पर ही आई थीं, लेकिन पहाड़ ने उनका भार सहन करने में असमर्थता व्यक्त की, जिससे वह नाराज हो गई और पहाड़ को कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया। तभी से पहाड़ की पूरी चट्टानें सफेद हैं।

वह बताते हैं कि देवी मां के श्राप से घबराया पहाड़ विनम्रता से श्राप वापस लेने की विनती की तो मां ने उसके उद्धार के लिए नवरात्र में अष्टमी तिथि को मिर्जापुर मंदिर का आसन स्थान, त्याग कर यहां आने का वचन दिया था। यही वजह है कि अष्टमी को यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। विंध्यवासिनी मंदिर के पुजारी बताते हैं कि नवरात्र में अन्य तिथियों की अपेक्षा अष्टमी की तड़के से ही मां की प्रतिमा में अजीब सी चमक प्रतीत होती है, जो मां के यहां विराजमान होने का संकेत है।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल/मोहित

   

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