भगवान श्रीराम के प्रयागराज आने की तिथि पर होगा कार्यक्रम

--जल्द शुरू होगा प्रयागराज कल्चरल एंड हेरिटेज वॉक

प्रयागराज, 09 अप्रैल (हि.स.)। प्रयागराज विद्वत परिषद ने युवा सहयोगियों के साथ पूर्व कुलपति प्रो. के बी पांडेय की अध्यक्षता में बैठक की। जिसमें प्रयागराज के वैदिक व पौराणिक काल की सांस्कृतिक विरासत धरोहर के साथ तीर्थों के चिन्हीकरण व नयी पीढ़ी को जानकारी देने तथा भगवान श्री राम के महर्षि भारद्वाज से मिलने वाले दिन को भी उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। चुनाव पश्चात प्रयागराज कल्चरल एंड हेरिटेज वॉक भी शुरू किया जाएगा।

मंगलवार को सिविल लाइंस में हुई बैठक की जानकारी परिषद के समन्वयक वीरेंद्र पाठक ने देते हुए बताया कि प्रयागराज, भारत का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यहां कुम्भ मेला सामाजिक और धार्मिक सदियों से आयोजन होता आ रहा है। प्रयागराज में कई पौराणिक स्थल हैं। जल ही यहां तीर्थ है। वैदिक काल में गुरुओं के आश्रम थे। माधव का स्थान इंद्र, वरुण, वशिष्ठ, परशुराम, कुबेर, उर्वशी व अनेक कुण्ड व तीर्थ थे। इनका उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है। अब समय है कि प्रयागराज के सभी तीर्थों का महिमामंडन हो।

प्रो. के.बी पांडेय ने कहा कि प्रयागराज के प्रमुख स्थलों की सुरक्षा, प्रस्तुति और पुनर्निर्माण के लिए हमें सामूहिक योगदान और सहयोग की आवश्यकता है। इससे हम प्राचीनता, समृद्धि और संस्कृति को संरक्षित रख सकेंगे और प्रयागराज को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप जनजागरण कराएंगे। हमें इस महत्वपूर्ण कार्य में एकत्रित होकर सहयोग करना चाहिए, ताकि हम प्रयागराज की महत्वपूर्ण धार्मिक, सांस्कृतिक, और प्राकृतिक व पौराणिक विरासत को सुरक्षित रख सकें और आने वाली पीढ़ियों को इसका आनंद उठाने का मौका मिले।

परिषद के सदस्य आशुतोष सण्ड ने कहा कि मुगल काल के पूर्व भी प्रयागराज की अनेक विरासत देख-रेख के अभाव में दुर्दशा को प्राप्त है। उनका संरक्षण आवश्यक है। वैदिक व पौराणिक काल के सभी स्थानों की खोज कर उनको जनता के सामने लाना होगा। डॉ. अखिलेश मिश्र ने कहा कि प्रयागराज की अनेक महत्वपूर्ण धरोहर के बारे में लोग जानते ही नहीं। उन्होंने धरोहर की खोज एवं शोध के लिए एक टीम बनाने का सुझाव दिया।

समाजसेवी दिनेश तिवारी ने कहा कि मोहनजोदड़ो, सिंधु घाटी सभ्यता की तरह सबसे पुराना शहर प्रयागराज ही है। जहां मांडो में 25 हजार वर्ष पुरानी देवी की प्रतिमा और 10 हजार वर्ष पूर्व का धान खोज में मिला है। वर्तिका शुक्ला ने कहा प्रयागराज की प्राचीनता, समृद्धि और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों के सहायता से प्रमुख स्थलों का कायाकल्प हो सकता है। प्रयागराज शिक्षा और शोध का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां की गरिमा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयागराज कल्चरल एंड हेरिटेज वॉक का प्रस्ताव अभिषेक मिश्रा ने रखा, जिस पर सभी की सहमति बनी।

इसके लिए एक समिति भी गठित की गयी, जिसमें डॉ. ब्रजेन्द्र मिश्र, डॉ. पीयूष मिश्र, वर्णिका शुक्ला, शशिकांत मिश्र, विवेक स्वरूप, अंजली, संकल्प, जगत नारायण तिवारी प्रमुख हैं। तपन चटर्जी ने कहा कि प्रयागराज के प्रमुख स्थलों की संरक्षण में सहायक होने के लिए हमें समुदाय की सहभागिता, प्रशासनिक समर्थन, संस्कृति और पर्यटन स्थल के रूप में मजबूती प्रदान करेंगे। स्थानीय समुदाय को इस प्रक्रिया में शामिल करना और सम्बंधित संस्थाओं के साथ मिलकर काम करना आवश्यक है। बैठक में चुनाव बाद सम्मेलन वर्कशॉप का निर्णय भी लिया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

   

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