लोस चुनाव : विपक्ष भी अब मुसलमानों को टिकट देने में कर रहा परहेज

लखनऊ, 12 अप्रैल (हि.स.)। भाजपा की नीतियों को देखकर अब विपक्ष भी टिकट बंटवारे में मुसलमानों को तवज्जो नहीं दे रहा है। उनकी बातें करता है, लेकिन सिर्फ उनके वोट के लिए। अब ऐसा लगता है कि विपक्ष भी जान चुका है कि मुसलमानों की विपक्ष मजबूरी है। उनकी जगह हिन्दू को टिकट देने से वे सर-प्लस करेंगे।

उत्तर प्रदेश में स्थिति यह है कि 2014 लोकसभा चुनाव में विपक्ष जहां 44 मुसलमानों को मैदान में उतारा था। वहीं इस वर्ष अब तक मात्र 13 उम्मीदवारों को ही टिकट दिये हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके अनुपात में भी विपक्ष उन्हें टिकट बंटवारा नहीं किया। 2014 में कांग्रेस ने उप्र में 11 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। वहीं बसपा ने सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार 19 की संख्या में उतारे थे। वहीं समाजवादी पार्टी ने 14 उम्मीदवारों को टिकट दिये थे। वहीं समाजवादी पार्टी ने 2014 में मुसलमानों के लिए अपने घोषणा पत्र में नौकरियों में उनके अनुपात के हिसाब से नौकरी में आरक्षण देने की बात की थी। उसके बाद सपा ने कभी घोषणा पत्र में मुसलमानों का नाम तक नहीं लिया।

वहीं 2019 में कांग्रेस ने आठ मुसलमानों को टिकट दिये। सपा और बसपा का गठबंधन था। इसमें इन दोनों ने मिलकर 10 उम्मीदवारों को टिकट दिये थे। उसमें भी सबसे ज्यादा टिकट बसपा ने दिये थे। वहीं इस वर्ष सपा और कांग्रेस का गठबंधन है। अब तक हुए टिकट बंटवारे में सपा और कांग्रेस ने मिलकर मात्र छह मुसलमानों को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने इस बार सात उम्मीदवार उतारे हैं। समाजवादी पार्टी ने तो अपने एक मुसलमान सासंद का मुरादाबाद से टिकट देने के बाद काट दिया और उनकी जगह रूचि वीरा को टिकट दे दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश

   

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