बीएचयू कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग ने शोध के क्षेत्र में विदेशी धरती पर परचम लहराया
- Admin Admin
- Apr 16, 2024
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—शोध से कार्डियक सर्जरी के दौरान रोगियों को रक्त की आवश्यकता न के बराबर होगी
—इस प्रयोग से ब्लड बैंको पर भी बोझ कम होगा
वाराणसी, 16 अप्रैल (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग ने शोध के क्षेत्र में विदेशी धरती पर भी विश्वविद्यालय का परचम लहराया है। परफ्यूज़न साइंसेज में राफ पर शोधार्थी अखलेश सुरेशचंद मौर्या का काम यह निर्धारित करेगा कि कार्डियक सर्जरी के दौरान रोगियों को रक्त की आवश्यकता न के बराबर हो। और मरीजों को संक्रमण प्रतिक्रिया से बचाया जा सके इतनी क्षमता इस तकनीक में है, जो कार्डियोपल्मोनरी बाईपास सर्किट में हीमोफिल्टर के अवलोकन से सम्भव है।
इस प्रयोग से ब्लड बैंको पर भी बोझ कम होगा और समाज को इसका भरपूर लाभ मिलेगा। बीते 24 मार्च को संयुक्त राज्य अमेरिका के लुसियाना स्थित न्यू ऑरलियंस में आयोजित हुए 62वें अमेरिकन सोसाइटी ऑफ एक्स्ट्रा कॉरपोरियल टेक्नोलॉजी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग से पीएचडी रिसर्च स्कॉलर अखलेश सुरेशचंद मौर्या को उनके आविष्कार की गई तकनीक (आरएएफ) की विशेष प्रस्तुति के लिए चयनित किया गया था। शोध छात्र ने 20 मार्च से लेकर 24 मार्च तक चलने वाले सम्मेलन में तकनीक को प्रस्तुत किया। इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। भारत से अखलेश इकलौते प्रतिभागी थे। अखलेश के शोध कार्य ने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रथम स्थान हासिल किया। जो सम्पूर्ण भारत के लिए गौरव की बात है।
अखलेश सुरेशचंद मौर्या विश्वविद्यालय के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग में प्रो. संजय कुमार (सुपरवाइजर) एवं सहायक प्रो. राजेश्वर यादव (को-सुपरवाइजर) के नेतृत्व में पीएचडी कर रहे हैं। अखलेश के इस विषय एवं इसकी प्रस्तुति में प्रो. संजय कुमार, प्रो. राजेश्वर यादव के मार्गदर्शन की बड़ी भूमिका रही। अखलेश की इस उपलब्धि से पीएचडी कार्य कर रहे अन्य छात्रों को एक नई दिशा मिली है। अखलेश का “कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में दर्ज अनुसंधान कार्डियक सर्जरी में कार्डियोपल्मोनरी बाईपास से गुजरने वाले व्यस्क रोगियों पर रेट्रोग्रेड ऑटोलॉगस फिल्ट्रेशन (आर ए एफ) की प्रभावशीलता का आंकलन करना उद्देश्य था।
अखलेश मौर्य उन प्रतिभागियों में से एक हैं जिन्होंने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय मंच पर परफ्यूजन साइंसेज में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने इस सम्मेलन में उत्कृष्ट शोध परियोजना और प्रस्तुति पुरस्कार भी जीता है। प्रो. संजय कुमार ने इस शोध कार्य के लिए निदेशक आईएमएस, डीन एवं कुलपति प्रो. सुधीर जैन के सहयोग तथा उत्साह के लिए आभार जताया।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/विद्याकांत