शेक्सपियर की रचनाएं आज भी प्रासंगिक और सर्वकालिक:कुलपति

केविवि में शेक्सपियर की रचना पर आयोजित संगोष्ठी में भाग लेते वक्ता व शोधार्थीकेविवि में शेक्सपियर की रचना पर आयोजित संगोष्ठी में भाग लेते वक्ता व शोधार्थी

पूर्वी चंपारण,24अप्रैल(हि.स.)।महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविधालय व इंग्लिश लिटरेरी सोसाइटी(हार्मनी) के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध अंग्रेजी रचनाकार शेक्सपियर की 460वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर ब्लेंडेड मोड में शेक्सपियर टुडे इन इंडियन कॉन्टेक्स्ट विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन बुधवार को किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने की, जबकि इसके संरक्षक, प्रो. प्रसून दत्त सिंह रहे।

कुलपति ने शेक्सपियर की बौद्धिक चपलता और काव्य कौशल पर जोर देते कहा कि शेक्सपियर वर्गीकरण की अवहेलना करते हैं।उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक और सर्वकालिक है। संगोष्ठी के संरक्षक, प्रोफेसर प्रसून दत्त सिंह ने आधुनिक संदर्भ में शेक्सपियर की स्थायी प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए शेक्सपियर और कालिदास के बीच समानताएं चित्रित करते शेक्सपियर के मर्चेंट ऑफ वेनिस और कालिदास की ''उपमा'' और ''दीपशिखा'' की अवधारणा पर भी टिप्पणी की।

कार्यक्रम में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. बिमलेश कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि शेक्सपियर सबसे ज्यादा स्वीकार्य लेखक हैं और उनके सभी पात्र जीवन के उत्साह से भरते है,जिससे जीने की प्रेरणा मिलती है। सत्र का संचालन कार्यक्रम के सह-संयोजक, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उमेश पात्रा ने किया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर आर.पी. सिंह ने आधुनिक भारतीय समाज में शेक्सपियर की स्थायी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते शेक्सपियर को एक रेनेसां के व्यक्ति के रूप में देखा, उनकी तुलना कालिदास से की। सीयूएसबी के अंग्रेजी विभाग के प्रो.विपिन कुमार सिंह ने भारतीय संदर्भ में शेक्सपियर की प्रासंगिकता पर जोर देते बताया कि कैसे शेक्सपियर सार्वभौमिक मानवीय भावनाओं पर ध्यान केंद्रित कर उन्हें सबके लिए सुलभ बनाते है।

आरएमएलएनएलयू के कानूनी अध्ययन विभाग की डॉ. अलका सिंह भी सत्र में शामिल हुईं और शेक्सपियर पर अपने विचार साझा किए। इसके साथ ही संगोष्ठी में डॉ. एक्सेंड्रो मैक्सिमिलियन, ई एल ई डिपार्टमेंट, आईटीटीई, पीजीआरआईबी लैम्पुंग, इंडोनेशिया ने भी अपना विचार प्रस्तुत किया। व्याख्यान को तीन भागों में विभाजित किया गया था। प्रथम शेक्सपियर अंग्रेजी में क्यों महत्वपूर्ण है? द्वितीय अंग्रेजी में शेक्सपियर का योगदान और तृतीय अंग्रेजी कक्षा में शेक्सपियर को कैसे पढ़ाएं?वक्ताओ ने अंग्रेजी कक्षाओं में शेक्सपियर को पढ़ाने के तरीकों की चर्चा करते जोर दिया कि शेक्सपियर नैतिक दुविधाओं को कैसे संबोधित करते हैं और कैसे आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं।

डॉ. मैक्सिमिलियन ने शिक्षा और समाज पर शेक्सपियर के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए क्षेत्रीय अध्ययनों से एकत्र किए गए शोध डेटा को भी साझा किया।संगोष्ठी के दौरान शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए एमए अंग्रेजी के लिए प्रवेश विवरणिका भी लांच की गई।

हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा

   

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