लाइकेन प्रजातियों में हुई वृद्धि अनुसंधानों में होगा काफी सहायक : डाॅ. डी.के. उत्प्रेती
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- Dec 10, 2024
लखनऊ, 10 दिसम्बर (हि.स.)। सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान और भारतीय लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘अपुष्पी अनुसंधान में प्रगति एवं दृष्टिकोण’ पर चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न अनुसंधान एवं विकास कार्यों पर चर्चायें की गई।
इसमें सीएसआईआर-एनबीआरआई के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और भारतीय लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी (आईएलएस) के अध्यक्ष डॉ डी. के. उप्रेती ने भारत में लाइकेन विविधता एवं इसके शोध के विभिन्न आयामों के सम्बंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हाल के कुछ वर्षों में लाइकेन वर्गिकी एवं विविधता के क्षेत्र में नवीन शोधों में काफी वृद्धि हुई है जिसके कारण भारत में पाए जाने वाली लाइकेन प्रजातियों की कुल संख्या में काफी वृद्धि हुई है जो यह दर्शाता है कि न सिर्फ भारत में नवीन प्रजातियों की खोज हुई है, अपितु बहुत सारे अल्प अन्वेषित क्षेत्रों की लाइकेन विविधता की समग्र जानकारी भी एकत्र की गयी है जो भविष्य के अनुसंधानों के लिए काफी सहायक होगी।
एक अन्य मुख्य व्याख्यान में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पीएल उनियाल ने अपुष्पी पौधों के एक महत्वपूर्ण समूह ब्रायोफाइट पौधों पर चर्चा करते हुए इन पौधों के पर्यावरण में महत्व एवं देश के विभिन्न स्थानों पर इन पौधों पर किये गये पर्यावरणीय अध्ययनों की जानकारी दी। इन पौधों के पर्यावरण प्रदूषण के प्रति संवेदनशील होने के कारण पर्यावरणीय अध्ययनों में इनके महत्त्व एवं साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण में हो रहे बदलावों को समझने में इन पौधों की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी प्रो उनियाल ने चर्चा की । इस अवसर पर सम्मेलन के आयोजन सचिव एवं सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. गौरव मिश्रा ने बताया कि सम्मेलन में आज विभिन्न सत्रों में क्रिप्टोगैमिक शोध के विभिन्न क्षेत्रों पर कुल 40 मौखिक प्रस्तुतियां और विषय विशेषज्ञों द्वारा छह आमंत्रित वार्ताएं की गईं।
हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय