(अपडेट) जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का 18वां संस्करण सम्पन्न 

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को सिद्ध कियाजयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को सिद्ध कियाजयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को सिद्ध किया

जयपुर, 3 फरवरी (हि.स.)। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक आयोजनों में से एक, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण का भव्य समापन हो गया। विचार, संवाद और सांस्कृतिक विविधता का यह उत्सव एक बार फिर यह साबित करने में सफल रहा कि साहित्य केवल पन्नों में सिमटा नहीं होता, बल्कि समाज को प्रेरित और समृद्ध करने का एक जीवंत माध्यम है। इस वर्ष का फेस्टिवल वेदांता की प्रस्तुति, मारुति सुज़ुकी के सहयोग और VIDA द्वारा संचालित किया गया।

क्लार्क्स आमेर में आयोजित इस पांच दिवसीय उत्सव में 600 से अधिक वक्ताओं ने भाग लिया। साहित्य, कला, इतिहास, संगीत और अर्थशास्त्र जैसे विविध विषयों पर आधारित सत्रों ने श्रोताओं को आकर्षित किया। दुनियाभर के लेखकों, विचारकों, इतिहासकारों, और कलाकारों ने विचारों का आदान-प्रदान कर इसे एक यादगार आयोजन बना दिया।

फेस्टिवल ने साहित्य को उसकी समृद्ध परंपरा और आधुनिकता के साथ जोड़ते हुए संवाद के माध्यम से नई संभावनाएं प्रस्तुत कीं। यह आयोजन स्थापित और उभरते साहित्यकारों के लिए एक साझा मंच बना, जहां उन्होंने अपने अनुभव, विचार और कहानियां प्रस्तुत कीं।

उद्घाटन सत्र से लेकर समापन तक, हर दिन ने साहित्य और संस्कृति के अनूठे पहलुओं को छुआ। लेखक और अभिनेता मानव कौल ने अपने लेखन के शुरुआती सफर के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, आप मुझे मेरे चेहरे के बजाय मेरे लेखन से ज्यादा पहचान सकते हैं। उनके सत्र में जीवन, एकांत, और लेखन के प्रति उनके प्रेम को दर्शाया गया।

प्रसिद्ध संगीत निर्माता जो बॉयड ने अपने सत्र 'द रूट्स ऑफ़ रिदम रिमेन: ए जर्नी थ्रू ग्लोबल म्यूज़िक' में अपनी नई किताब And the Roots of Rhythm Remain पर चर्चा की। उन्होंने पश्चिमी संगीत पर वैश्विक प्रभावों की बात करते हुए बताया कि कैसे रेगे, ब्राजीलियन सांबा और भारतीय संगीत ने पश्चिमी दुनिया के संगीत को गहराई से प्रभावित किया है।

इतिहास के गूढ़ विषयों पर चर्चा करते हुए अनीता आनंद और विलियम डैलरिंपल ने जलियांवाला बाग और उधम सिंह की कहानी को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। उनके सत्र 'एम्पायर: उधम सिंह – द मैन एंड द मिथ' ने श्रोताओं को 20वीं सदी के भारत के राजनीतिक संघर्षों की झलक दी।

सत्र में आनंद ने कहा, यह कहानी केवल उधम सिंह के प्रतिशोध की नहीं है, बल्कि न्याय की उस लंबी यात्रा की है, जिसने इतिहास को बदल दिया। डैलरिंपल की चुटीली टिप्पणियों ने सत्र को रोचक बना दिया, और इसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और शेयेन ओलिवियर ने 'छौंक: भोजन, अर्थशास्त्र और सुरक्षा' सत्र में वीर सांघवी से बातचीत की। इस सत्र ने खाद्य सुरक्षा और अर्थशास्त्र के गहरे संबंधों को उजागर किया। बनर्जी ने कहा, बेहतरीन व्यंजन अक्सर कम संसाधनों से जन्म लेते हैं। भारतीय भोजन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां रोज़मर्रा की सामान्य सामग्रियों से भी अद्भुत स्वाद तैयार किए जाते हैं।उन्होंने यह भी जोड़ा कि बड़े आर्थिक सिद्धांतों को सरल बनाना और कला व भोजन के माध्यम से उन्हें आम जनता तक पहुंचाना अधिक प्रभावी हो सकता है।

फेस्टिवल का समापन बहुचर्चित सत्र 'पैसिफिज्म इज फॉर लूजर्स' से हुआ, जिसमें वक्ताओं ने युद्ध और शांति के जटिल मुद्दों पर बहस की। गीडियोन लेवी, मुकुलिका बनर्जी, मनप्रीत वोहरा और अन्य वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। वीर सांघवी द्वारा संचालित इस सत्र में हिंसा और शांतिपूर्ण बदलाव के बीच संतुलन पर चर्चा हुई।

मनप्रीत वोहरा ने कहा, हम गांधी के देश में पैसिफिज्म को अहिंसा और सविनय अवज्ञा से जोड़ते हैं, लेकिन इसका अर्थ इससे कहीं व्यापक है।

जयपुर बुकमार्क के तहत आयोजित फेस्टिवल डायरेक्टर्स' राउंडटेबल एशिया का सबसे बड़ा प्रकाशन सम्मेलन रहा। इस चर्चा में अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सवों के आयोजकों ने भाग लिया और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व के महत्व पर ज़ोर दिया।

फेस्टिवल की सफलता का जश्न मनाते हुए आयोजकों ने घोषणा की कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का अगला संस्करण 15 से 19 जनवरी 2026 तक आयोजित होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार

   

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