समाचार को फैक्ट चेक किए बिना प्रसारित करने से समाज हो रहा गुमराह:सुमिता जायसवाल

पत्रकार सुमिता जायसवाल का स्वागत करते केविवि के प्रोफेसर व कार्यशाला में भाग लेते शोधार्थी

पूर्वी चंपारण,02 मई(हि.स.)। महात्मा गांधी केंद्रीय विवि के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा फैक्ट चेक विषयक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे प्रशिक्षक के रूप में वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया विशेषज्ञ सुमिता जायसवाल उपस्थित थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता मीडिया अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने की। विशिष्ट अतिथि प्रो प्रणवीर सिंह, अध्यक्ष, जंतु विज्ञान विभाग एवं आईक्यूएसी संयोजक थे। संचालन कार्यशाला संयोजक डॉ परमात्मा कुमार मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनील दीपक घोड़के ने की।

कार्यशाला में बतौर मुख्य प्रशिक्षक पत्रकार सुमिता जायसवाल ने कहा कि समाचार के विभिन्न माध्यमों विशेषकर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सूचनाओं के बिना जांच-पड़ताल किये प्रसारण करने से समाज गुमराह हो रहा है,जिससे कई समस्याएं खड़ी हो रही है। उन्होंने देश-दुनिया के कई प्रसिद्ध हस्तियों से संबंधित वायरल तस्वीरों के माध्यम से फेक एवं वास्तविक खबरों में अंतर पहचानने के विषय में विस्तार से जानकारी साझा करते बताया कि हमें किसी भी सूचना पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए। वास्तविकता की जांच के लिए गूगल लेन्स, कीवर्ड टूल, इनवीड टूल, येंडेक्स इत्यादि जैसे टूल का हम उपयोग कर सकते हैं।

उन्होने गलत सूचना के प्रकारों, उनको पहचानने के तरीकों और खबर प्रसारित करने से पहले बरतने वाली सावधानियों के विषय में भी विस्तार से जानकारी साझा की। उन्होंने पुलित्जर पुरस्कार विजेता केविन कार्टर द्वारा खींची गई उस तस्वीर को दिखाया जिसमें भूख से तड़पती एक छोटी बच्ची को गिद्ध द्वारा उसके मरने का इंतजार को लेकर ली गई थी। यह मानवीय संवेदना को झकझोर देना वाला था।

उन्होने डोनाल्ड ट्रम्प के उस फेक तस्वीर को भी दिखाया जिसमें भ्रामक सूचनाएं प्रस्तुत की गई थी। कार्यशाला में अध्यक्षीय उद्बोधन में मीडिया अध्ययन के विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने कहा कि डीप फेक जैसे टूल्स के द्वारा फोटो, वीडियो एवं आवाज को बदल कर इसका गलत इस्तेमाल का प्रचलन काफी गंभीर समस्या के रूप में सामने आया है।ऐसे में पत्रकार के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इस तरह के कंटेंट की वास्तविकता की जांच कर लोगों को सही जानकारी उपलब्ध कराएं।

विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रणवीर सिंह ने कहा कि आज सूचनाओं, विचारों और तस्वीर को तोड़- मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। इससे समाज में द्वेष और ईर्ष्या को भी बढ़ावा मिल रहा है जिस पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।वही संचालन करते हुए डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र ने कहा कि मिस-इन्फॉर्मेशन और डिस-इन्फॉर्मेशन से आज समाज में विश्वसनीयता का संकट पैदा हो गया है। सूचनाओं के महाजाल में असंख्य गलत सूचनाएं जो विभिन्न रूपों में है, संचालित है। हमें सूचनाओं को प्राप्त करते समय उसका परीक्षण कर लेनी चाहिए। सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनील दीपक घोड़के ने धन्यवाद देते कहा कि फैक्ट चेकिंग असत्य सूचनाओं से बचने का कारगर उपाय है। हमारे जीवन में सूचनाओं का विशेष महत्व है जो सत्यतापूर्ण हो इसकी चिंता हमें निरंतर करनी चाहिए। इस दौरान एमएजेएमसी द्वितीय सेमेस्टर के छात्र तुषाल कुमार,जन्मेजय कुमार, विवेक गुप्ता, अपूर्वा त्रिवेदी, आर्यन सिंह आदि छात्रों ने मुख्य वक्ता से फैक्ट चेक से संबंधित प्रश्न किए जिसका समुचित उत्तर उनके द्वारा दिया गया। कार्यशाला में बड़ी संख्या में शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/गोविन्द

   

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