बीएचयू के ई.एन.टी. विभाग में दो बहनों का किया गया कॉक्लियर इम्प्लांट

वाराणसी, 03 मई (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के नाक, कान व गला विभाग में दो बहनों का सफल कॉक्लियर इम्प्लांट किया गया। एक सात साल और दूसरी 16 वर्ष की आयु में सुनने की शक्ति खो दी लेकिन चिकित्सकों के प्रयास से अब दोनों बहनें फिर से सुन सकती हैं।

दोनों बहनें सात वर्ष की आयु तक सुन सकती थीं। इनकी बोलने की क्षमता भी विकसित हो गई थी। सात वर्ष की आयु के बाद इनकी श्रवण शक्ति कमजोर होने लगी। एक वक्त ऐसा आया जब दोनों बहनों को सुनाई देना बन्द हो गया। एक बहन 11 वर्ष की उम्र में तथा दूसरी लगभग 16 वर्ष की उम्र में सुनने की शक्ति खो दी। हालांकि दोनों को बोलने में कोई दिक्कत नहीं थी। बीएचयू के चिकित्सकों ने दोनों बहनों की स्थिति का अध्ययन करने के बाद यह पाया कि चिकित्सकीय तौर पर पूरी तरह फिट होने के कारण एवं कोई और जटिलता न होने से इन बहनों में कॉक्लियर इम्प्लांट किया जा सकता है।

विभाग के चिकित्सकों डॉ. विश्वम्भर सिंह, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. अर्पित गोयल तथा डॉ. संजय कुमार की टीम ने दोनों बहनों में कॉक्लियर इम्प्लांट किया। डॉ. अनिल पासवान ने एनेस्थिसिया सहयोग उपलब्ध कराया। इंप्लांट के लिए इन लड़कियों के परिवार काे कोई खर्च बहन नहीं करना पड़ा। चिकित्सकों के अनुसार सुनने की क्षमता में आई जटिलता किसी अनुवांशिक (जेनेटिक) स्थिति का परिणाम हो सकता है, हालांकि अभी इसका अध्ययन किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप

   

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