रामनगरी की फैजाबाद संसदीय सीट पर अबतक कोई नहीं लगा पाया हैट्रिक!

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अयोध्या,13 मई (हि.स.)। रामनगरी से बड़ा सवाल उठ कर सामने आ रहा है। चार सौ पार का नारा देने वाली भाजपा के सांसद एवं फैजाबाद संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी क्या अबकी बार हैट्रिक लगायेंगे? इस बार इस संसदीय क्षेत्र में मुकाबला रोचक मोड़ पर पहुंच चुका है। भाजपा उम्मीदवार एवं वर्तमान सांसद लल्लू सिंह अगर इस चुनाव में जीतते हैं तो जीत की उनकी हैट्रिक बन जाएगी। क्योंकि अभी तक लोकसभा चुनाव में कोई भी प्रत्याशी हैट्रिक नहीं लगा पाया है।

फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से कब कौन बना सांसद?

लल्लू सिंह 2014 और 2019 में फैजाबाद लोकसभा का चुनाव जीते। जबकि भाजपा के विनय कटियार 1991 और 1996 का लोकसभा चुनाव जीते, लेकिन 1998 में चुनाव हार गए और 1999 में एक बार फिर भाजपा के टिकट पर फैजाबाद के सांसद बन गए। वहीं कांग्रेस के टिकट पर डॉक्टर निर्मल खत्री 1984 और 2009 में फैजाबाद के सांसद बने। मित्रसेन यादव फैजाबाद लोकसभा से तीन बार सांसद हुए, वर्ष 1989, 1998 और 2004 में चुनाव जीते, लेकिन वह भी हैट्रिक नहीं लगा सके। आजादी के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी से चार बार रामकृष्ण सिन्हा चुनाव जीते। उन्होंने दो बार लगातार जीत दर्ज की। तीसरी बार हैट्रिक लगाने का मौका 1977 में दिया गया, लेकिन कांग्रेस विरोधी लहर में वह सफल नहीं हुए। इस तरह फैजाबाद लोकसभा के चुनाव में अब तक कोई भी उम्मीदवार हैट्रिक नहीं लगा सका है। कांग्रेस आजादी के बाद से अब तक सात बार इस सीट पर चुनाव जीती है। वहीं इस बार लल्लू सिंह यदि हैट्रिक लगाने में सफल होते हैं तो बीजेपी जीत का छक्का जड़ देगी और कांग्रेस के सात बार जीत के रिकॉर्ड से मात्र एक कदम पीछे रह जाएगी।

कांग्रेस की बात करें तो इस सीट पर आजादी के बाद से अब तक सात बार विजयी रही है। कांग्रेस से निर्मल खत्री दो बार चुनाव जीते हैं। 1977 से पहले तक यह क्षेत्र कांग्रेस के ही खाते में रहा। राममंदिर आंदोलन के दरम्यान भाजपा के विनय कटियार लगातार दो बार सांसद बने। इसके बाद इस सीट पर लगातार बदलाव होते रहे। एक चुनाव हारने के बाद विनय कटियार फिर से चुने गए। मित्रसेन यादव यहां से तीन बार सांसद बने, लेकिन तीन अलग-अलग राजनैतिक दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से सांसद चुने गए। दो बार लगातार जीत का रिकॉर्ड रामकृष्ण सिन्हा ने भी बनाया। निर्मल खत्री के अतिरिक्त वही अकेले प्रत्याशी थे। जिन पर पार्टी ने लगातार भरोसा रखा। वहीं अब 2024 चुनाव में बीजेपी जीतती है तो लल्लू सिंह की हैट्रिक होगी। हालांकि इस लक्ष्य को हासिल करने की राह आसान नहीं है।

2014 में मोदी लहर में लल्लू सिंह दो लाख 82 हजार के रिकार्ड मतों से चुनाव जीते थे, लेकिन पिछले 2019 के चुनाव में सपा एवं बसपा के संयुक्त प्रत्याशी एवं मित्रसेन यादव के पुत्र आनंद सेन ने कड़ी टक्कर दी और लल्लू सिंह की जीत के अंतर को मात्र 66 हजार पर ला दिया। इस बार लल्लू सिंह और अवधेश में टक्कर दिख रही है। इन दोनों धुरंधरों का पुराना चुनावी इतिहास देखा जाय तो दोनों ने हारना नहीं सीखा है। इस बार भाजपा का मुकाबला प्रदेश के छह बार के मंत्री और नौ बार के विधायक रहे सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद से है। लल्लू की तरह उन्होंने भी हारना नहीं सीखा है। अपने राजनीतिक जीवन में वह केवल दो बार चुनाव हारे हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में यह पहली बार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। फिलहाल दोनों तरफ से रणभेरी बज चुकी है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री तथा सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव दो दिनों के अंतराल में 16 और 18 मई को अपने प्रत्याशियों के समर्थन में सभाएं करेंगे। अंदाजा लगाया जा रहा है कि उन सभाओं के बाद इस संसदीय क्षेत्र की तस्वीर काफी कुछ साफ हो जायेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/पवन पाण्डेय/राजेश

   

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