रामदेवरा में बनने वाली गोडावण टनल के निर्माण पर मंथन कर रहा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट

जैसलमेर, 17 मई (हि.स.)। जैसलमेर में गोडावण संरक्षण के प्रयास के तहत सुदासरी व रामदेवरा में ब्रीडिंग सेंटर के सफल प्रयास के बाद गत सरकार द्वारा रामदेवरा में गोडावण के लिए टनल बनाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद अब वन विभाग व डब्ल्यू एल आई (वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) देहरादून मंथन में जुटा हुआ है। बजट घोषणा के बाद राजस्थान प्रोटेक्टेड एरिया कंजर्वेशन सोसायटी द्वारा प्रारंभिक तौर पर आठ करोड़ का बजट भी जारी कर दिया गया है। अब टनल की डिजाइन व इसे कैसे बनाने पर विचार किया जा रहा है।

गौरतलब है कि राज्य पक्षी गोडावण की संख्या को बढ़ाने व लुप्त हो रही इस प्रजाति को फिर से बढ़ाने के लिए प्रदेश की सरकारें पिछले लंबे समय से प्रयास कर रही है। जैसलमेर के सुदासरी व रामदेवरा में ब्रीडिंग सेंटर बनने के बाद गोडावण की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है। ऐसे में इन ब्रीडिंग टनल में गोडावण को जंगल का अहसास दिलाने की दिशा में एनक्लोजर बनाने पर काम किया जा रहा है। सेंटर में ही जन्म लेने वाले गोडावण को बाहर वापस छोड़ने के लिए इस टनल का निर्माण किया जाएगा।

जंगल फ्रेंडली बनाने के होंगे प्रयास

डेजर्ट नेशनल पार्क (डीएनपी) के डीएफओ आशीष व्यास ने बताया- सुदासरी व रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में फिलहाल गोडावण वैज्ञानिकों की देखरेख में है। वैज्ञानिकों द्वारा ही गोडावण को खाना खिलाने से लेकर उनकी मसाज व अन्य कार्यों को मॉनिटर किया जा रहा है। ऐसे सामान्य तौर पर शर्मीले पक्षी के रूप में पहचान रखने वाले गोडावण की यह नस्ल अब मानव से परिचित हो गई है। नई पीढ़ी के गोडावणों को वापस जंगल में छोड़ा जाना है, लेकिन इससे पहले इन्हें जंगल में जीवनयापन के लिए तैयार किया जाएगा।

डब्ल्यू एल आई इसकी डिजाइन जल्दी करेगा फाइनल

जिस प्रकार का टनल बनना है, ऐसी टनल पहले दुनिया में नहीं बनी है। ऐसे में डब्ल्यू एल आई के अधिकारी हर छोटी से छोटी बात को लेकर सजग है। इस टनल का निर्माण कैसे करवाया जाएं, इसमें किस प्रकार का वातावरण तैयार किया जाए। इसके लिए मंथन किया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक लेने के बाद ही डब्ल्यू एल आई इस टनल का डिजाइन फाइनल करेगा। रामदेवरा में बनने वाले दुनिया के पहले टनल में अगर यह प्रयोग सफल होता है तो सुदासरी में भी इस प्रकार का टनल बनाया जा सकता है।

टनल में गोडावण को मिलेगा जंगल का एहसास

ब्रीडिंग सेंटर में पैदा होने के बाद से अब तक वहीं ब्रीडिंग सेंटर में रहने से गोडावण की नई पीढ़ी जंगल की अनुभूति से पूरी तरह से महरुम है। डीएनपी (डेजर्ट नेशनल पार्क) के डीएफओ आशीष व्यास ने बताया- ब्रीडिंग सेंटर में यह खाने व पीने के लिए भी मानवीय दखल के आदी हो चुके है। ऐसे में जब इन्हें वापस छोड़ा जाएगा तो इन्हें इसकी कोई समझ जानकारी नहीं है कि क्या खाना है? कहां से खाना है? कौनसा जानवर या पक्षी इनका मित्र है और कौन दुश्मन? इसकी इन नन्हें गोडावणों को जानकारी नहीं है। ऐसे में टनल में नई पीढ़ी के गोडावणों को रखकर उन्हें जंगल में जीने का एहसास करवाया जाएगा। इस टनल का निर्माण ही इस तरह से किया जाएगा कि इसमें गोडावणों को प्राकृतिक वातावरण में जंगल का एहसास हो।

हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्रशेखर/संदीप

   

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