संपूर्ण विश्व में नैतिक मूल्यों का क्षरण होना चिंताजनक : प्रो.मुरली मनोहर

गोरखपुर, 18 मई (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग की ओर से नीति ग्रन्थों की साम्प्रतिक उपादेयता विषय पर शनिवार को संगोष्ठी आयोजित की गई।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो.मुरली मनोहर पाठक ने नीति शब्द की उत्पत्ति करते हुए मानवता के मूल में नीति ग्रन्थों के योगदान को आरेखित किया और कहा कि आज संपूर्ण विश्व में नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है जो अत्यंत चिंताजनक है, संस्कृत के नीति ग्रंथ इस समस्या के समाधान के मूल स्रोत है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो.ललित कुमार गौड़ ने कतिपय नीति ग्रन्थों के नैतिक तत्वों को प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व नैतिक दृष्टि से भारत से संचेतना ग्रहण करता है। विषय प्रवर्तन करते हुए विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कीर्ति पाण्डेय ने संस्कृत को समस्त भाषाओं की जननी तथा तथा नैतिक मूल्यों की संवाहिका कहा। संचालन डॉक्टर सूर्यकांत त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ कुलदीपक शुक्ल ने किया।

इस अवसर पर विभागीय शिक्षक डॉ लक्ष्मी मिश्रा डॉ देवेंद्र पाल डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह, डॉ रंजनलता, डॉ स्मिता द्विवेदी, डॉ मृणालिनी, डॉ ज्ञानधर भारती,डॉ अर्चना शुक्ला तथा विभागीय छात्र उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रिंस पांडेय/राजेश

   

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