'मजदूरों को बेघर करने का अभियान गैर कानूनी और जनविरोधी'

देहरादून, 26 मई (हि.स.)। मजदूर बस्तियों में घरों को तोड़ने के ऐलान का विरोध करते हुए राज्य के ट्रेड यूनियन गठबंधनों, विपक्षी दलों एवं अन्य संगठनों ने आरोप लगाया कि ऐसे किसी भी कदम गैर कानूनी , जन विरोधी एवं मनमाना होगा।

समाजवादी पार्टी कार्यालय पर रविवार को सीआईटीयू के राज्य सचिव लेखराज, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. एसएन सचान, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, किसान सभा के राज्य महामंत्री गंगाधर नौटियाल, सीपीआई (एम) के अनंत आकाश और सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा ने संयुक्त रूप से प्रेसवार्ता की।

इसमें लेखराज ने कहा कि 16 मई को देहरादून की जिलाधिकारी ने खुद माना था कि प्रशासन द्वारा तय की गई बेदखली सूची में गलतियां हैं। अनेक लोगों के नाम शामिल किया गया है, जो कई साल से रह रहे हैं। सूची बनाने के लिए कोई भी कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाया गया है और यूपी पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ अनअथॉराइज्ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम के सारे धाराओं का उल्लंघन हुआ है। जबकि सरकार का वादा था कि बस्तियों का नियमितीकरण होगा और 2022 तक हर परिवार को घर मिलेगा, फिर भी लोगों को उजाड़ा जा रहा है।

लेकिन गरीबों को हक देने के बजाय उन पर कार्यवाही की जा रही है। जबकि सरकारी विभाग एवं निजी बिल्डरों द्वारा नदी के बीच में बनाये गए निर्माण जैसे कई निजी होटल, राज्य के विधान सभा, पुलिस अफसर कॉलोनी, इत्यादि पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह सब आचार संहिता के समय में किया जा रहा है, जो आचार संहिता के मूल्यों के खिलाफ है। 30 मई को होने वाली जन आक्रोश रैली में आवाज बुलंद करेंगे। किसी को बेघर न किया जाए, सरकार अपने ही वादों के अनुसार नियमितीकरण करे या पुनर्वास करे और मजदूर वर्गों के लिए घर योजना पर युद्ध स्तर पर काम करे। इसका उत्तराखंड महिला मंच, एआईटीयूसी और आईएनटीयूसी ने भी समर्थन किया।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज

   

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