जींद : गुरू अर्जुन देव ने मानवता की खातिर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया: बलविंद्र सिंह

जींद, 10 जून (हि.स.)। पांचवी पातशाही गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी गुरपूर्व सोमवार को शहर के सभी गुरुद्वारों में श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया गया। संगतों ने अमृत वेले सुबह सवेरे गुरुद्वारा साहिब में हाजिरी लगा कर गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक कर अपने गुरु की शहीदी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी गुरुद्वारों में शब्द कीर्तन गायन किए गए तथा मीठे शरबत एवं लंगर का प्रसाद संगतों में वितरित किया गया। वहीं शहर में भी जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा मीठे शरबत की छबीलें लगाई गई। जहां राहगीरों ने तपती गर्मी में मीठे शरबत का प्रसाद ग्रहण करके गर्मी को शांत किया।

गुरूघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि सिंह सभा गुरुद्वारा रेलवे जंक्शन पर धार्मिक समागम आयोजित किया गया। जिसमें सुखमणि साहिब सेवा सोसायटी द्वारा द्वारा सुखमणि साहिब का जाप किया गया तथा शब्द कीर्तन गायन किए गए। हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सदस्य बीबी परमिंदर कौर ने गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में गुरु अर्जुन देव की शहादत को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि गुरु अर्जुन देव जी को शहीदों का सरताज इसलिए कहा जाता है कि सिखों के 10 गुरुओं में गुरु अर्जुन देव जी एक ऐसे गुरु थे, जिन्होंने मानवता की खातिर अपना बलिदान दिया। इसलिए गुरु अर्जुन देव को शहीदों का सरताज कहा जाता है।

ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में शहीदी गुरुपर्व के उपलक्ष में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। जिसमें सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई साहब भाई जसवीर सिंह रामदसिया के रागी जत्थे द्वारा गुरबाणी गायन किया गया। भाई जरनैल सिंह के कविशरी जत्थे ने गुरु अर्जुन देव को श्रद्धांजलि देते हुए अपनी मार्मिक कविताओं द्वारा गुरु अर्जुन देव की जीवनी को संगतों से रूबरू करवाया। मंजी साहिब गुरुद्वारा कैथल से आए भाई मनदीप सिंह के रागी जत्थे ने निरोल गुरुबाणी गायन करके संगतों का मन मोह लिया। गुरूघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि गुरु अर्जुन देव सिखों के पांचवें धर्म गुरु थे और गुरु अर्जुन देव जी की शहादत अतुलनीय है। मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी गुरु अर्जुन देव अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे। जो दिन-रात संगत की सेवा में लगे रहते थे। उनके मन में सभी धर्मों के प्रति अथाह सम्मान था।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजेंद्र/संजीव

   

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