स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए एआई और तकनीकी का प्रयोग जरूरी : राज्यपाल

शनिवार को राजभवन में अंतर विश्लेषण (गैप एनालिस) पर परिचर्चा के दौरान राज्यपाल के साथ चित्र।  

देहरादून, 29 जून (हि.स.)। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए एआई और तकनीकी का प्रयोग जरूरी है।

शनिवार को राजभवन में एम्स ऋषिकेश की ओर से आयोजित उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त अंतर को कम करने के लिए अंतर विश्लेषण (गैप एनालिस) पर परिचर्चा कार्यक्रम में राज्यपाल शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत और अपनी कार्यबल क्षमता को बढ़ाकर अंतर विश्लेषण को कम किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के भौगोलिक परिदृश्य के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं को पंहुचाना बेहद चुनौतीपूर्ण है। इस तरह की परिचर्चा और मंथन से ही उसके समाधान निकलेंगे। टेलीमेडिसिन, टेली कंसल्टेशन, ड्रोन टेक्नोलॉजी, हेली एंबुलेंस जैसे प्रयास राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए गए हैं। इसे और अधिक व्यापक स्तर पर किए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को भी पूरा करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। आज की परिचर्चा से जो निष्कर्ष निकलेगा वह हमारी स्वास्थ्य सुविधाओं को और अधिक सुदृढ़ और आम आदमी तक उसकी पहुंच को और आसान करेगा। उन्होंने कहा कि इस परिचर्चा के सुझावों को मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव के साथ साझा किया जाएगा।

परिचर्चा में एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद स्वास्थ्य उपकरणों और दवाइयों के लिए एकीकृत-डैशबोर्ड बनाए जाने की जरूरत बताई। जिससे चिकित्सा इकाइयों में उपकरणों और दवाइयों की जानकारी उपलब्ध हो सके। जिसे जरूरत के अनुसार उपयोग में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि उपकरणों के रखरखाव के लिए हर चिकित्सा इकाइयों में बायोमेडिकल इंजीनियर की नियुक्ति जरूरी है जिससे ऐसे उपकरणों की देखभाल सही से की जा सके।

निदेशक एम्स ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मैन पावर को प्रशिक्षित किया जाना भी जरूरी है और सप्लाई चैन को निरंतर ठीक करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग हेतु एम्स सदैव तत्पर है।

परिचर्चा में हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून प्रार्चाय प्रो. ए.के. देवराड़ी ने भी अपने सुझाव और अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि स्पेशलिटी और सुपर स्पेशलिटी में डॉक्टर्स की कमी की जड़ तक जाना होगा और इनकी रिक्तियों को भरने के विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे डॉक्टर्स को लोगों के बीच जाना चाहिए और उनकी समस्याओं का अनुभव कर उसके निदान खोजें जाने चाहिए।

एम्स ऋषिकेश की निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने सभी उपस्थित लोगों को इस परिचर्चा में प्रतिभाग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/वीरेन्द्र

   

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