शांति काली मिशन को मिला प्रतिष्ठित विवेकानन्द सेवा सम्मान

कोलकाता, 30 जून (हि.स.)। भारत ही वह भूमि है जहां विभिन्न धर्म और संस्कृति को अपने में समाहित किया है। सभी धर्म सत्य पर ही आधारित हैं। सत्य पर आधारित सभी धर्मों को भारत का मानवतावादी स्वरूप ही उन्हें बांध कर रखता है।'' ये कहना हैं प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक एवं शिक्षाविद् डॉ. सरूप प्रसाद घोष के, जो श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा स्थानीय रथीन्द्र मंच में आयोजित 38वें विवेकानंद सेवा सम्मान समारोह में बतौर प्रधान वक्ता बोल रहे थे। इस मौके पर त्रिपुरा में आदिवासियों के बीच सनातन संस्कृति को लेकर काम करने वाले संस्था शांति काली मिशन को पुस्तकालय की ओर से प्रतिष्ठित विवेकानंद सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इस दौरान संबोधित करते हुए घोष ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा वसुधैव कुटुम्बकम् के अवधारणा पर आधारित है। हमें अपनी संस्कृति तथा देश की परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए सच्ची निष्ठा रखनी होगी।

समारोह अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. पी. एन मिश्रा ने कहा कि विवेकानन्द ने भारतीय संस्कृति, धर्म एवं अध्यात्म का जो संदेश हमें प्रदान किया, वह देश और समाज का सदैव पथ प्रदर्शित करता रहेगा। उन्होंने शांति काली मिशन के माध्यम से संस्कृति के संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।

समारोह में उन्होंने त्रिपुरा के आदिवासियों के समग्र उन्नयन एवं सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु समर्पित सेवाभावी सामाजिक संस्था शांति काली मिशन'' को सम्मान स्वरूप एक लाख रुपये की राशि एवं मानपत्र प्रदान किया।

पद्मश्री स्वामी चित्तरंजन देबबर्मा महाराज ने विवेकानन्द सेवा सम्मान ग्रहण करते हुए कहा कि त्रिपुरा में शांति काली मिशन की स्थापना सनातन धर्म एवं जनजातियों के सर्वांगीण विकास के लिए हुई थी। उन्होंने कहा कि आश्रम के स्थापना और उसके संचालन में अनेक चुनौतियां आयी लेकिन इन सबसे जुझते हुए हमने 20 वर्षों में 13 छात्रावास और 35 मंदिरों द्वारा सेवा केन्द्र संचालित किए जा रहे है। इनमें करीब अबतक चार हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर चुके है।

कार्यक्रम का कुशल संचालन किया पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने, स्वागत भाषण दिया विदूषी डॉ. तारा दूगड़ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया उपाध्यक्ष भागीरथ चांडक ने। प्रारंभ में लोकप्रिय गायक सत्यनारायण तिवाड़ी ने डॉ. शंभु प्रसाद श्रीवास्तव के प्रभु जीवन पथ में पुण्य मिले'' सेवागीत को प्रस्तुत किया। सीताराम तिवारी के स्वस्ति वाचन के साथ रिमा सिंह, रूपा कुण्डू, बंशीधर शर्मा, डॉ सरूप प्रसाद घोष, भागीरथ चांडक तथा डॉ. पी. एन. मिश्रा द्वारा शांति काली मिशन के पूज्य स्वामी पद्मश्री चित्तरंजन महाराज का सम्मान किया गया। नन्दकुमार लढ़ा, महावीर प्रसाद रावत, अजय चौबे एवं अरुण प्रकाश मल्लावत ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।

समारोह में सागरमल गुप्ता, मोहनलाल पारीक, मीनादेवी पुरोहित, दयाशंकर मिश्र, पवन धेलिया, डॉ महेश माहेश्वरी, भागीरथ कांकानी, अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी, चम्पालाल पारीक, मनोज पराशर, स्नेह कुमार, अशोक राय एवं गायत्री बजाज प्रभृति कोलकाता एवं हावड़ा के सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। समारोह को सफल बनाने में भागीरथ सारस्वत, मनोज काकड़ा, गुडड्न सिंह, राजू लाठ, विपुल दूगड़ एवं अरुण सिंह आदि सक्रिय थे। हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा

   

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