अब गंभीर अपराधों में अभियुक्त को हथकड़ी लगाकर कोर्ट में किया जा सकता है पेश : प्रभाकर द्विवेदी

- तीन वर्ष के कम सजा पाने वाले 65 साल के अभियुक्तों को सीओ के आदेश पर होगी गिरफ्तारी

बाराबंकी, 01 जुलाई (हि.स.)। भारतीय संसद में पारित तीन नए कानूनों के बारे में लोगों को विस्तृत जानकारी देने के लिए सोमवार को रामनगर थाना के परिसर में एक गोष्ठी की गई। नवीन कानून के तहत अब हत्या व बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में अभियुक्त को हथकड़ी लगाकर कोर्ट मे पेश किया जा सकता है।

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी प्रभाकर द्विवेदी ने नए कानूनों के बारे में बताया कि भारतीय चिंतन पर आधारित न्याय प्रणाली को दंड प्रक्रिया के बजाय न्याय प्रक्रिया के तहत अपनाया गया है।

उन्होंने बताया कि धारा 102 को 103 व 304 को 68 में बदला गया। धारा 107 को धारा 126 तथा 151 को 167 में बदला गया है। नए एक्ट में एफआईआर की धारा को 173 तथा चार्ज सीट की धारा को 154 में स्थापित किया गया है।

श्री द्विवेदी ने बताया कि सीआरपीसी के तहत तीन साल से कम सजा वाले मामलों में 65 साल से अधिक उम्र व गंभीर बीमारी से ग्रसित अभियुक्त को क्षेत्राधिकारी के आदेश पर ही गिरफ्तार किया जा सकता है।

अब वीडियो व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर विशेष बल दिया गया है। अब विवेचना अधिकारी द्वारा 60 से लेकर 90 दिनों में हर हालत में चार्ज सीट दाखिल की जाएगी। धारा 120 को 61 में तथा 511 को 62 में तब्दील किया गया है। नए कानून के तहत कुछ पुरानी धाराओं को हटाया गया है तथा कुछ को शामिल भी किया गया है। अब फरार अपराधियों की अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलाया जाएगा।

तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव प्रकाश अवस्थी ने बताया कि नए कानून के अनुसार अब किसी भी थाने पर एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। मांबलीचिंग के मामलों में अब आजीवन कारावास व मृत्यु दंड का भी प्रावधान है।

पुलिस क्षेत्राधिकारी आलोक कुमार पाठक ने लोगों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि हम सभी को नए कानून के तहत लगातार कार्य करते हुए सभी को न्याय दिलाना ही होगा। क्षेत्राधिकारी ने यह भी बताया कि इस नए कानून के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सभी थानावार एक गोष्ठी का आयोजन किया है, जिसे लोगों को इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सकें।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/दीपक/राजेश

   

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