कचरा के बेहतर प्रबंधन के जरिए गुजरात ने सर्कुलर इकोनॉमी के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए: कौशल किशोर

-सर्कुलर इकोनॉमी के माध्यम से अवसर: अपशिष्ट-जल का पुनर्चक्रण और अपशिष्ट से ऊर्जा पर सेमिनार

गांधीनगर, 12 जनवरी (हि.स.)। वाइब्रेंट समिट की दसवीं कड़ी के तीसरे दिन आयोजित सेमिनार सर्कुलर इकोनॉमी के माध्यम से अवसर: अपशिष्ट-जल का पुनर्चक्रण और अपशिष्ट से ऊर्जा सेमिनार में केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री कौशल किशोर ने इस क्षेत्र में गुजरात के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि गुजरात ने कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए 'वेस्ट टू एनर्जी' नीति लागू की है और सर्कुलर इकोनॉमी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आयोजित सेमिनार में केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि भारत जैसे तेजी से विकसित हो रहे देश के लिए शहरीकरण के साथ-साथ उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान लाना भी आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत, शहरी अमृत 2.0, नल से जल जैसे अभियानों के माध्यम से शहरीकरण की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जा रहा है। आज देश में उत्पन्न होने वाले कचरे से बायोगैस, बायो सीएनजी, हाइब्रिड ईंधन का उत्पादन किया जा रहा है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कचरे को फेंकने के बजाय अच्छा उपयोग करने की प्रेरणा देकर एक नई इकोनॉमी का सृजन किया है। गोबरगैस और बायोगैस परियोजनाओं का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आए हैं। मुख्यमंत्री ने सूरत को मिले स्वच्छ शहर अवॉर्ड के लिए बधाई देते हुए कहा कि राज्य में प्रत्येक शहर स्वच्छता में नंबर 1 बने ऐसा वातावरण हमें सृजित करना चाहिए। हमने प्रत्येक म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में कचरे का उचित प्रबंधन करके सर्कुलर इकोनॉमी बनाई है।

वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टो टानो कोमो ने कहा कि आज के समय कई ऐसी वस्तुएं हैं जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता है उन्हें सिर्फ रिसाइकल-रियूज और रिस्टोर किया जा सकता है। सर्कुलर इकोनॉमी का उद्देश्य पृथ्वी पर उत्पन्न कचरे को रिसाइकल कर उसका पुन: उपयोग करना और मानव जाति के लिए एक स्थायी भविष्य का निर्माण करना है। यदि विकासशील देश कूड़ा निकासी खर्च को कम कर उसे विकास कार्यों पर खर्च करेंगे, तो मानव जाति का सर्वांगीण विकास होगा और इस धरती पर गरीबी कम की जा सकेगी।

केन्द्रीय शहरी विकास विभाग की अपर सचिव डी. थारा ने कहा, कचरा निपटान की समस्या तब उत्पन्न होती है जब हम कचरे को जमा होने देते हैं। यदि हम कूड़ा एकत्रित होने वाले दिन ही उसके निपटान की व्यवस्था कर लें तो हम सर्कुलर इकोनॉमी की दिशा में प्रगति कर सकेंगे। इसके अलावा उन्होंने 'जीरो वेस्ट सिटी पॉलिसी' बनाने का सुझाव दिया। इस सेमिनार में गुजरात के शहरी विकास और शहरी आवास विभाग के प्रधान सचिव अश्विनी कुमार ने कहा कि गुजरात के 48% नागरिक शहरी क्षेत्रों में रह रहे हैं, और निकट भविष्य में यह आबादी 60% तक पहुंच जाएगी। राज्य सरकार ने उस समय शहरों में सतत विकास के लिए अभी से ही कार्य योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।

खास बातें:

1. आणंद में कचरे से बायोगैस बनाने के लिए 210 करोड़ रुपए के एमओयू

2. अहमदाबाद में बायो सीएनजी और बायो फर्टिलाइजर प्लांट स्थापित करने के लिए 200 करोड़ के एमओयू

3. वडोदरा में 125 करोड़ रुपये कि लागत से सीएनजी प्लांट स्थापित करने के लिए एमओयू

4. सूरत में गंदे पानी को रिसाइकिल कर इंडस्ट्रीज को देने के लिए 230 करोड़ और 120 करोड़ रुपये के एमओयू

5. सूरत में ग्रीन फंड इंश्योरेंस के भंडार के एकत्रीकरण के लिए 100 करोड़ रुपए के एमओयू

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/संजीव

   

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