अपने पूर्वजों के त्याग, बलिदान, साहस और शौर्य से सीख लें : शेषधर द्विवेदी

-ज्वाला देवी गंगापुरी में मनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती

प्रयागराज, 23 जनवरी (हि.स.)। ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज गंगापुरी रसूलाबाद में आज सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मनायी गई। मुख्य अतिथि प्रदेश निरीक्षक भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश काशी प्रांत शेषधर द्विवेदी ने कहा कि हमें अपने पूर्वजों के त्याग, बलिदान, उनके अदम्य साहस और शौर्य से सीख लेनी चाहिए। जिनका जीवन मातृभूमि के लिए सदैव समर्पित रहा। ऐसे वीर सपूतों को सदैव याद करते रहना चाहिए।

मंगलवार को मुख्य अतिथि एवं कार्यक्रम प्रमुख आचार्य दीपक कुमार मिश्र ने मां सरस्वती व नेताजी सुभाषचंद्र बोस के चित्र पर दीपार्चन व पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। दीपक कुमार मिश्र ने सुभाष चंद्र बोस के विषय में बताया कि उनका जन्म बंगाली माता-पिता प्रभावती देवी और जानकीनाथ बोस के घर 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था। जो आज भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है। लेकिन तब ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। सुभाष अपने माता- पिता की नौवीं संतान और छठे पुत्र थे। नेताजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया था। ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। भारतवासी उन्हें नेताजी के नाम से सम्बोधित करते थे।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खास दिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की। इसे मनाने का उद्देश्य नेताजी के पराक्रम को सम्मान देना है। इसी के बाद से इसे पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। नेता जी की मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। उनकी मौत 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में हो गई थी, लेकिन उनकी डेड बॉडी नहीं मिली थी। इसलिए आज भी उनकी मौत का रहस्य नहीं सुलझ पाया है। विद्यालय के प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र एवं विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों ने कार्यक्रम की बधाई देते हुए आशीर्वचन प्रदान किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

   

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