रेशम पालन से किसान भरेंगे समृद्धि की उड़ान, बीएचयू बनेगा खेवनहार

मीरजापुर, 31 जनवरी (हि.स.)। बीएचयू के बरकछा स्थित लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल राजकीय रेशम प्रशिक्षण संस्थान में बुधवार को 12वें बैच के लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया। पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली व बिजनौर जनपद के किसानों को रेशम पालन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

सहायक निदेशक सेवानिवृत्त आरएल मौर्या ने किसानों को शहतूती पौधारोपण, विशुद्धीकरण, चाकी कीट पालन तथा धागा कारण के बारे में जानकारी दी। कहा कि रेशम विकास कार्यक्रम कृषि पर आधारित एक श्रमजनित कार्यक्रम है। प्रदेश की जलवायु एवं सामाजिक आर्थिक स्थिति इस कार्यक्रम के लिए सर्वथा उपयुक्त है। सहायक रेशम विकास अधिकारी अर्चना ने प्रशिक्षुओं को बताया कि शहतूती, एरी और टसर रेशम का उत्पादन प्रदेश में होता है। शहतूती कीट का भोज्य पदार्थ शहतूत की पत्ती, एरी कीट का भोज्य पदार्थ एरी, अरंडी की पत्ती तथा टसर रेशम कीट का भोज्य पदार्थ अर्जुन व आसन की पत्ती होती है। शहतूत एवं एरी रेशम कीटपालन की फसल एक माह की होती है। पत्तियां तोड़कर कीट को खिलाते हैं। टसर रेशम कीट का लारवा अर्जुन के पेड़ पर सीधे चढ़ता है। पत्तियां खाकर 40.45 दिन में ककून का निर्माण करता है।

हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/बृजनंदन

   

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