राज्यपाल ने तीसरे राष्ट्रीय बरपेटा पुस्तक और विज्ञान मेले का किया उद्घाटन

Assam Governor, Barpeta Book and Science Fair

-छपी पुस्तकें मन पर प्रभाव जारी रखने और सभ्यतागत मूल्यों को आगे बढ़ाती हैं : राज्यपाल

बरपेटा (असम), 11 फरवरी (हि.स.)। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने रविवार को बरपेटा में तीसरे राष्ट्रीय बरपेटा पुस्तक और विज्ञान मेले का उद्घाटन किया।

उद्घाटन समारोह में राज्यपाल ने कहा कि उन्हें बरपेटा में पुस्तक और विज्ञान मेले का उद्घाटन करने और भाग लेने में खुशी महसूस हुई। उन्होंने कहा, सदियों से भारत अपने ज्ञान और विज्ञान के लिए जाना जाता है। मैं उन सभी लेखकों, कवियों, साहित्यकारों को स्वीकार करता हूं और प्रणाम करता हूं जिन्होंने साहित्य के संवर्धन में बहुत बड़ा योगदान दिया है। हमारी अधिकांश सांस्कृतिक परंपराएं और मूल्य भी किताबें पढ़ने से आए हैं।

राज्यपाल ने कहा, “पुस्तक एवं विज्ञान मेला मानव जाति की बौद्धिकता को जागृत करने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन है। इसके अलावा, जब मेलों के माध्यम से वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान किया जाता है, तो यह लोगों, विशेषकर छात्रों को किताबें पढ़ने और विज्ञान के बारे में उनकी समझ और ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक एवं विज्ञान मेले का उद्देश्य छात्रों एवं व्यक्तियों की अवधारणा, खोज, नवाचार एवं प्रयोग के लिए शिक्षित एवं प्रोत्साहित करना होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा, मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक मेला युवा मन में विज्ञान की दुनिया के बारे में समझ बढ़ाने और वैज्ञानिक पद्धति के बारे में जानने की उनकी जिज्ञासा बढ़ाने और वैज्ञानिक स्वभाव एवं ज्ञान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

कटारिया ने इसके अलावा कहा कि पुस्तक एवं विज्ञान मेला सिर्फ एक आयोजन नहीं है, यह बौद्धिक चर्चा का अवसर है। राज्यपाल ने सभी से अपनी क्षमता के अनुसार किताबें खरीदने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को किताबें दी जानी चाहिए और उनमें पढ़ने की आदत विकसित की जानी चाहिए क्योंकि इससे उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लगातार बदलते परिदृश्य का ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि 21वीं सदी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सदी है, राज्यपाल ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर पर्याप्त जोर दिए बिना कोई देश प्रगति नहीं कर सकता। यह कहते हुए कि किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर निर्भर करती है, राज्यपाल ने कहा कि भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वैज्ञानिक कार्यबल है जिसने भारत को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में योगदान दिया है।

राज्यपाल ने कहा, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि देश का प्रत्येक छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवाचारों, नए आविष्कारों, नई प्रौद्योगिकियों आदि के रूप में इसकी अभिव्यक्तियों का लगातार बढ़ता ज्ञान प्राप्त करे। राज्यपाल ने आह्वान करते हुए कहा कि मुझे यकीन है कि पुस्तक और विज्ञान मेला एक बहुत अच्छा मंच है जो छात्रों में जिज्ञासा जगाता है और रचनात्मक रूप से उन्हें फिर से जागृत करता है एवं उन्हें नई चीजें खोजने और सीखने और नई दुनिया की खोज करने के लिए आकर्षित करता है।

इस अवसर पर कटारिया ने आशा व्यक्त की कि डिजिटल माध्यम के बावजूद मुद्रित पुस्तकें हमेशा प्रासंगिक बनी रहेंगी। यह उत्साहवर्धक है कि लोग अपनी व्यस्तता के बावजूद समय निकालकर पुस्तक मेले में जाते हैं, किताबें खरीदते हैं और उन्हें पढ़ते हैं। श्री कटारिया ने कहा, “यह एक सकारात्मक संकेत है, जो हमें दृढ़ता से विश्वास दिलाता है कि डिजिटल दुनिया के प्रसार के सामने मुद्रित पुस्तकें कभी गायब नहीं होंगी। मुद्रित पुस्तकें लोगों की पीढ़ियों को सभ्यताओं को आकार देने और सभ्यतागत मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। प्रत्येक पीढ़ी ने किताबों के प्रति अपना प्यार और सम्मान अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली है।”

राज्यपाल ने बरपेटा में जन्मे अंबिकागिरी रॉय चौधरी, डॉ. बनिकांता काकती और प्रसन्नलाल चौधरी जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों का भी उल्लेख किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने रेलवे वैक्यूम ब्रेक के आविष्कारक गुरुप्रसाद दास और महान वैज्ञानिक डॉ. किशोरी मोहन पाठक का भी जिक्र किया।

इस मौके पर असम सरकार के पी एंड आरडी मंत्री रंजीत कुमार दास, असम सरकार के शिक्षा सलाहकार प्रोफेसर नानी गोपाल महंत, प्रख्यात साहित्यकार अनुराधा शर्मा पुजारी सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने पुस्तक और विज्ञान मेले में भाग लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद/प्रभात

   

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