छतरपुर: पीएम की मंशा 2047 तक विकसित भारत बनाना: राज्यपाल

बसंत पंचमी पर तृतीय दीक्षांत समारोह बुंदेली संस्कृति-संस्कार के बीच सम्पन्न हुआ

छतरपुर, 14 फ़रवरी (हि.स.)। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर का तृतीय दीक्षांत समारोह प्रदेश के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में बसंत पंचमी के अवसर पर बुन्देली संस्कृति संस्कार के बीच सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह बुधवार को विश्वविद्यालय के शताब्दी हॉल के सामने आयोजित किया गया था। सारस्वत अतिथि के रूप में डॉ. मृत्युंजय महापात्रा महानिदेशक मौसम विज्ञान भारत सरकार उपस्थित रहे। इस दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में छतरपुर विधायक ललिता यादव उपस्थित रहीं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यअतिथि राज्यपाल मंगुभाई पटेल की उपस्थित में शोध छात्रों, शोध निदेशकों तथा प्राध्यापकों का फोटो शूट किया गया। फोटो सेशन के बाद बुंदेली परिधान में मंच तक शोभा यात्रा निकाली गई।

दीक्षांत समारोह मां सरस्वती एवं महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीपप्रज्जवलन कर शुरू हुआ। राष्ट्रगान की प्रस्तुति (पुलिस बैण्ड के साथ) के बाद कुलगान वंदना, सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की गई। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने 38 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक एवं उपाधि से सम्मानित करते हुए बधाई दी। इस दौरान विश्वविद्यालय के समाचार पत्र छत्रछाया तथा स्मारिका दीक्षावाणी का विमोचन किया गया और उपाधिधारकों को शपथ भी दिलाई गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने उपस्थितों को भारत माता की जय और वन्देमातरम् का जयघोष कराया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि कुलपति को अब कुलगुरू कहा जाएगा। महाराजा छत्रसाल की वीर भूमि आल्हा-ऊदल जैसे वीर योद्धाओं और केन-बेतवा नदियों की पावन धरा बुन्देलखण्ड में महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होकर अत्यंत खुशी हुई।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी विद्वानों के व्याख्यान, प्रयोगशालाओं के उन्नयन, विद्यार्थियों के शैक्षणिक भ्रमण और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से छात्र-छात्राओं की समस्याओं के निराकरण की पहल सराहनीय है। महाराजा छत्रसाल जी के नाम पर शोध केन्द्रों एवं ऋषि मार्कंडेय उद्यान विश्वविद्यालय परिसर (गुरैया) में 5 हजार पौधे के रोपण और विश्वविद्यालय के हर एक प्रयास में सेना के अधिकारियों का मार्गदर्शन भी सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि पौधारोपण हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण अंग है। शुद्ध वातावरण से ही हमारा जीवन अच्छा चलेगा। बच्चों को जहां भी अपने पास जगह मिले, जन्मदिन के अवसर पर पौधा अवश्य लगाएं। ताकि ग्लोबल वार्मिंक एवं जलवायु परिवर्तन दूर रहे। उन्होनें कहा विश्वविद्यालय में होटल मैनेजमेंट का कोर्स भी संचालित हो। विश्वविद्यालय की पहचान उसकी शैक्षणिक कुशलता और संस्कारित युवाओं के निर्माण केन्द्र के रूप में होनी चाहिए। उन्हांेने कहा माता-पिता बच्चों को पढ़ाते हैं लिखाते हैं उन्हें कभी नही भूलें।

जीवन में कितने भी आगे बढ़ो, मातृभूमि को कलंक न लगे इसी तरह जीवन जीना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील करते हुए कहा है कि 2047 तक विकसित भारत बनाना है। हर एक बच्चा मातृ भूमि को अपने में जो सोच है उसे आगे बढ़ाएं और अपनी राय दें। उन्होंने कहा विकसित भारत संकल्प यात्रा गांवों में गई। जो लाभ से वंचित रह गए है। उन्हें लाभ दिया गया है। उन्होंने बच्चों से अपील करते हुए कहा कि जो गरीब व्यक्ति लाभ से वंचित रह गए हैं उन्हें लाभ दिलाने में सहयोग करें और खुद के साथ समाज का भी सोचें और आगे बढ़े। समाज और राष्ट्र विकास के ध्वजवाहक युवा होते हैं। विकसित भारत बनाने के लिए सभी प्रयास करें।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल द्वारा डॉ. मृत्युंजय महापात्रा को मौसम विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए एमसीबीयू की ओर से डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। साथ ही चित्रकला विभाग के विद्यार्थियों द्धारा बनाई गई आकर्षक पेंटिंग्स की एक आर्ट गैलरी का अवलोकन करते हुए चित्रकला की सराहना की।

हिन्दुस्थान समाचार/सौरभ

   

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