स्वशासन, स्वभाषा, स्वसंस्कृति हमारी प्रेरणा का स्रोत : गणेश केसरवानी

--हम भारत के लोग अपनी संस्कृति व सभ्यता बचाने को सदैव प्रयत्नशील रहे

--इविवि में “युवा संवाद-इंडिया 2047” कार्यक्रम

प्रयागराज, 27 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित “युवा संवाद-इंडिया 2047” कार्यक्रम में महापौर गणेश केशरवानी ने कहा कि हम भारत के लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे। राजनैतिक और सांस्कृतिक हितों की लड़ाई लड़ते रहे। बुनियादी मान्यताओं की रक्षा के लिए प्रयत्नशील रहे। स्वशासन, स्वभाषा, स्वसंस्कृति हमारी प्रेरणा का स्रोत रहा।

महापौर ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम भारत के लोगों ने कभी भी ग़ुलामी स्वीकार नहीं की। आज भी समाज की सामूहिक शक्ति की सहायता से हम राष्ट्र निर्माण के लिये संकल्पबद्ध हैं। 2047 का भारत कैसा हो? आत्मनिर्भर, सशक्त, मज़बूत और दुनिया का नेतृत्व करने वाला हो, यह हमारी चिंता है और यह चिंता भारत के नौजवानों के बिना पूरी नहीं हो सकती।

विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी प्रो.अतुल कुमार शरण ने कहा कि संवाद का जीवन में बहुत महत्व है। हमें लिसनिंग और हियरिंग में अंतर को समझकर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए। कर्तव्यशीलता या कर्तव्यहीनता व्यक्तिगत चरित्र से भी जुड़ती है इसका सम्बंध अनुशासन से भी है। विकसित भारत कर्तव्य बोध के बिना नहीं बन सकता।

अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. संजय सक्सेना ने कहा कि सभी देशों के नवयुवक अपने देश को श्रेष्ठ समझते हैं। लेकिन हमें अपने उत्तरदायित्व को भी समझना चाहिए। अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो. बेचन शर्मा ने कहा कि हमारा व्यवहार ही हमें विशिष्ट बनाता है। हमारे अंदर गलतियों को स्वीकार कर उनके परिमार्जन का स्वभाव होना चाहिए। संस्कृत विभाग संयोजक प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने कहा कि नवयुवक को अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचान कर अपने कर्म में रत होना चाहिए।

कार्यक्रम संयोजक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि अधिकार बोध से पहले कर्तव्य बोध का महत्व है। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र मिश्र ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पिंकी सैनी ने किया। जबकि अतिथियों का स्वागत डॉ.अनूप, डॉ. अर्चना, डॉ.रुचि ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्रों के साथ अनेक लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण

   

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