आदिवासी समुदाय को अपनी संस्कृति और परंपरा को सहेजने की जरूरत : एके सिंह

खूंटी, 14 मार्च (हि.स.)। लीड्स संस्था के द्वारा अपने संसाधन केंद्र, पेरका मुरहू में गुरुवार को जिला स्तरीय आदिवासी समागम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में भगवान बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा और वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लीड्स के निदेशक एके सिंह ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की पारंपरिक विरासत काफी समृद्ध है। इसी विरासत का जश्न मनाने के लिए संस्था ने आज आदिवासी समागम का आयोजन किया है। इस समागम के द्वारा यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि वर्तमान समय में आदिवासी समुदाय को अपनी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए आगे आना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को इससे जोड़कर रखना चाहिए।

आदिवासी समाज के मूल्यों का संरक्षण और संवर्धन के लिए लीड्स के द्वारा आदिवासी परंपराओं और प्रथाओं को फिर से जीवंत करने की कोशिश की जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार मधुकर जी ने कहा कि आदिवासी इस राज्य के मूलवासी हैं। आदिवासी समुदाय को अपनी संस्कृति, मूल्यों और सिद्धांतो को भूलना नहीं चाहिए और आने वाली पीढ़ी को इसके बारे में बताना चाहिए।

उन्होंने कहा कि शिक्षा ही बदलाव लाने का श्रेष्ठ जरिया है और हम समाज में तभी बदलाव ला सकते हैं जब हम अपनी सोच में बदलाव लाएंगे। बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा ने कहा कि आज शहरीकरण के कारण आदिवासी भी शहरों की तरफ जा रहे हैं और धीरे-धीरे अपनी भाषा एवं सांस्कृतिक परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। हमारे बच्चे हमारी परंपरा संस्कृति को ना भूलें अभिभावकों को पहल करनी होगी, क्योंकि बच्चे अपने माता पिता का ही अनुसरण करते हैं।

उन्होंने कहा कि जो गलत बातें समाज में धीरे धीरे घर करती जा रही है, उसे दूर करने का प्रयास करना होगा।आदिवासी समागम में करम नृत्य, जादुर नृत्य, गेने नृत्य, पाईका नृत्य, आदिवासी लोकगीत आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में कूदा पंचायत के मुखिया अमर मुंडू, इंदीपीढ़ी पंचायत के मुखिया सुखराम सारुकद, फगुआ पहान, जबरा मुंडा, लीड्स के प्रोग्राम मैनेजर नीरजा रथ, आशुतोष जायसवाल, शांता आदि शामिल हुए।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल

   

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