बाबा विश्वनाथ के साथ विदा हुईं गौरा,रजत पालकी में सवार शिव परिवार का आशीर्वाद लेने की होड़

बाबा का रजत डोला: फोटो बच्चा गुप्ता

वाराणसी,20 मार्च (हि.स.)। रंगभरी एकादशी पर बुधवार की शाम काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के गौने (रंगभरी महोत्सव) में शामिल होने के लिए शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ.कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास “गौरी सदनिका” से ज्ञानवापी क्रासिंग स्थित बाबा दरबार तक लोग राजसी ठाटबाट के साथ दूल्हे के रूप में सजे पालकी पर सवार बाबा विश्वनाथ के रजत विग्रह और दुल्हन गौरा, उनकी गोद में बैठे भगवान गणेश के विग्रह की एक झलक पाकर आह्लादित दिखे। बाबा के विग्रह को काठियावाड़ से भेजे गए राजसी वस्त्र धारण कराने के साथ पश्चिम बंगाल कोलकाता का ‘‘देव किरिट” सिर पर बांधा गया।

इसके बाद बाबा और सोलह श्रृंगार कर सजी मां गौरा और भगवान गणपति के विग्रह को पूर्व महंत कुलपति तिवारी के आंगन में लाया गया। इन्हें धारण कराने से पूर्व पं. वाचस्पति तिवारी ने शिव परिवार के सभी वस्त्राभूषणों की विशेष पूजा की। अयोध्या और मथुरा जेल से आए अबीर गुलाल को चढ़ाने के साथ डमरुओं की गर्जना के बीच पालकी पर शिव परिवार को सवार कराया गया। इसी के साथ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से अर्चकों का दल महंत आवास पहुंचा। कपूर से आरती के बाद महंत पं.वाचस्पति तिवारी ने दोनों हाथों में जलतीं रजत मशाल दिखा कर पालकी उठाने का संकेत किया। इसके बाद बाबा और उनके परिवार का रजत डोला लेकर मंहत परिवार के सदस्य जैसे ही बाहर गली में निकले पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से गूंज उठा।

महंत आवास के बाहर मुख्य गली से मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर अयोध्या और मथुरा से भेजे गए खास गुलाल उड़ाए गए। शंखनाद और डमरूदल के वादन के बीच शहनाई दल के पीछे-पीछे बाबा की पालकी काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़ी। टेढ़ी नीम में नौ ग्रहेश्वर महादेव मंदिर से आगे बढ़ते ही विष्णु कसेरा के आवास से 21 किलो गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा की गई।

गौरतलब हो कि काशी में मान्यता है की देवलोक से सभी देवी-देवता गौना करा कर लौट रहे महादेव पर पुष्प और गुलाल वर्षा करते हैं। इसी मान्यता के वशीभूत स्वत: प्रेरित होकर वहां पहुंचे शिवभक्तों में पालकी सवार शिव परिवार के रजत विग्रह का स्पर्श कर उन पर गुलाल बरसाने की होड़ मची रही। पालकी पर इस कदर गुलाल की बौछार हुयी कि लोगों को पहचानना मुश्किल हो गया। महिलाएं भी अपने घरों की छतों, बारजों से गुलाब की पंखुडि़यां बाबा के डोला पर बरसा रही थीं। यह दृश्य देखने के लिए हर कोई आतुर था। टेढ़ीनीम गली में कतारबद्ध खड़े शिवभक्तों ने बाबा की पालकी पर दोनों हाथों से अबीर-गुलाल उड़ाया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में पुजारियों और भक्तों की गुलाल वर्षा से स्वर्ण शिखरों वाले मुक्तांगन में लोगों के चेहरे तक लाल, गुलाबी हो गए। इसी के साथ काशीवासियों ने महादेव से रंग खेलने और हंसी ठिठोली की अनुमति भी प्रतीक रूप से ले ली।

इसके पूर्व भोर में बाबा विश्वनाथ ,मां गौरा के रजत विग्रह को पंचामृत स्नान के बाद अभिषेक किया गया। इस दौरान महिलाएं मांगलिक गीत गा रही थी। प्रात: दस बजे सिन्दुर दान की रस्म पूरी हुयी। इसके बाद बाबा और गौरा के चल रजत प्रतिमा के पूजन के बाद पूर्व महंत के घर में शिव-पार्वती की चल प्रतिमाओं का दर्शन के लिए पट खोल दिया गया। इसी के साथ बाबा को अबीर-गुलाल अर्पित कर सुख, शांति, समृद्धि का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की लाइन लगने लगी। महंत परिवार के अनुसार एक लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन पूजन किया। बाबा और मां पार्वती की चल प्रतिमाएं टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से निकाल कर साक्षी विनायक और ढुंढिराज विनायक होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर तक गईं।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित

   

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