स्थानीय वर्सेज बाहरी के चलते अलवर लोकसभा चुनाव नही भाजपा के लिए नहीं आसान

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अलवर, 29 मार्च(हि.स.)। लोकसभा चुनाव का 1952 में पहली बार आगाज हुआ। 72 साल के लंबे सफर के बाद अब लोकसभा का 18 वां चुनाव 2024 में राजस्थान प्रदेश में दो चरणों 19 अप्रैल और 26 मई को होने जा रहा है। अलवर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। इस सीट पर चुनाव हमेशा रोमांचक रहा है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने यादव कार्ड खेलकर अलवर की राजनीति दिलचस्प बना दिया है।

भारतीय जनता पार्टी से राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के युवा नौजवान किसानों और युवाओं की आवाज मुंडावर विधायक ललित यादव को मैदान में उतारा है। यादव बाहुल्य सीट पर दोनों ही दलों ने यादव समाज के प्रत्याशियों पर दांव खेला है। कांग्रेस के प्रत्याशी जहां स्थानीय हैं। वहीं भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव के पैटर्न पर अलवर लोकसभा क्षेत्र में निवास करने वाले भाजपा नेताओं को साइड लाइन करते हुए बाहरी कैंडिडेट भूपेंद्र यादव को चुनावी रण में उतारा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के प्रत्याशी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। मोदी लहर और हिंदुत्व कार्ड के सहारे भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 10 वर्षों से अलवर लोकसभा सीट पर कब्जा कायम है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के गढ़ को ढहाने में कांग्रेस के ललित कौन सी पटकथा लिखकर कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने में सफल हो पाएंगे।

अलवर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में पांच कांग्रेस और तीन भाजपा के पास

अलवर लोकसभा क्षेत्र में जिले की आठ विधानसभाओं में पांच कांग्रेस के खाते में तो तीन भाजपा के पाले में शामिल हैं। जिसमें तिजारा से भारतीय जनता पार्टी के बालक नाथ, बहरोड से जसवंत यादव और अलवर शहर से संजय शर्मा वहीं कांग्रेस के किशनगढ़बास से दीपचंद खेरिया, अलवर ग्रामीण से टीकाराम जूली, रामगढ़ से जुबेर खान, राजगढ़ से मांगीलाल मीणा और मुंडावर से ललित यादव मौजूदा विधायक है।

भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र के लिए चुनाव बना प्रतिष्ठा

लोकसभा चुनाव में दिल्ली दरबार ने अलवर लोकसभा सीट पर स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर भारतीय जनता पार्टी के बड़े कद के नेता भूपेंद्र यादव को मैदान में उतर तो दिया है लेकिन अब यादव के लिए यह प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया है। जिसकी बानगी नामांकन के दिन ही देखी गई नामांकन सभा को संबोधित करने के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तथा हरियाणा के नेताओं को आना पड़ा। लोकसभा चुनाव की राजनीतिक पिच पर पहली बार सीधे चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी की इस लोकसभा चुनाव में राह आसान नहीं होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ मनीष बावलिया /ईश्वर

   

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