सृष्टि-निर्माण दिवस की स्मृति में हमारी संस्कृति का उज्ज्वल और महत्वपूर्ण दिन: रमेश

सनातनी नववर्ष पर कार्यक्रम :फोटो बच्चा गुप्ता

-सूर्योदय होते ही अर्घ्य प्रदान कर नववर्ष विक्रम संवत 2081 का काशी ने किया अभिनंदन

वाराणसी, 09 अप्रैल (हि.स.)। काशीपुराधिपति की नगरी में भारतीय नवसंवत्सर विक्रम संवत 2081 का पहला दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार को आध्यात्मिक चेतना और उल्लास के साथ मनाया गया। उत्तर वाहिनी गंगा के सभी घाटों पर विभिन्न संगठनों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर नववर्ष विक्रम संवत 2081 का स्वागत किया। शिवालाघाट पर संस्कार भारती, काशी महानगर एवं भृगु योग (ब्रह्म चिन्ता प्रणाली) ट्रस्ट की ओर से आयोजित ‘नव संवत्सर अभिसिंचन समारोह’ में प्रात: 5 बजे संस्कार भारती के ध्येय गीत की भरतनाट्यम प्रस्तुति डॉ प्रियंवदा तिवारी पौड्याल के निर्देशन में अंजलि, शिखा पांडेय, सरिता दुबे तथा शिवांगी तिवारी ने प्रस्तुत किया।

प्रभाती गायन मंच कला संकाय बीएचयू की शोध छात्रा निबेदिता श्याम ने किया। साथ में तबला संगत अभिनंदन मिश्रा एवं हरमोनियम संगत आनंद कुमार ने किया। तत्पश्चात सूर्योदय होते ही मुख्य अतिथि आरएसएस के काशी प्रांत प्रचारक रमेश समेत उपस्थित लोगों ने मां गंगा के तट पर डमरू एवं शंख वादन के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और सनातनी नववर्ष विक्रम संवत 2081 का स्वागत किया। इसके पश्चात अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज ने आशीर्वचन व संदेश दिया।

नव संवत्सर पाथेय में आरएसएस प्रांत प्रचारक ने कहा कि भारतीय प्राचीन वांगमय के अनुसार सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। सृष्टि-निर्माण दिवस की स्मृति के रूप में यह हमारी संस्कृति का उज्ज्वल और महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रथम नए वर्ष का प्रथम दिवस है। इसीलिए इसे वर्ष प्रतिपदा कहते हैं। अपने देश में प्रचलित सभी संवत् इसी दिन से प्रारम्भ होते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति हो या समाज अथवा राष्ट्र उसके जीवन में नया वर्ष नई-नई भावनाएं, नई-नई अभिलाषाएं और नई-नई आकांक्षाएं तथा उमंगें लेकर आता है। हर कोई आशा करता है कि आने वाला वर्ष उसके ही नहीं सभी के जीवन पथ को नव आलोक से प्रकाशित करके उसमें नयापन लाएगा। विगत वर्षों में किसी भी कारण से यदि कहीं भी और कोई भी कमी रह गई हो तो वह इस वर्ष में अवश्य पूरी हो जाएगी। भारत के सामाजिक जीवन में जो कुछ भी मान्यताएं, विश्वास और धारणाएं स्थापित की गई हैं उनके पीछे कोई न कोई महत्वपूर्ण आधार अवश्य है। हमारे नए वर्ष की मान्यता के पीछे भी विशुद्ध सांस्कृतिक, प्राकृतिक और आर्थिक कारण हैं।

कार्यक्रम में महापौर अशोक तिवारी, संस्कार भारती काशी प्रान्त संगठन मंत्री दीपक शर्मा, प्रात:कालीन एक अखबार के सम्पादक भारतीय बसंत कुमार की खास उपस्थिति रही। अतिथियों का स्वागत समारोह के स्वागताध्यक्ष डॉ आर.वी. शर्मा, धन्यवाद ज्ञापन डॉ के.ए. चंचल एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक प्रमोद पाठक ने किया।

रामनगर बलुआघाट पर मातृ शक्ति ने किया सनातनी नववर्ष का स्वागत

रामनगर के बलुआ घाट पर मातृ शक्ति ने सनातन नववर्ष विक्रम संवत 2081 के शुभारंभ यानी वर्ष प्रतिपदा पहले दिन का स्वागत किया। स्वदेशी जागरण मंच काशी महानगर की संयोजिका कविता मालवीय के मुख्य आतिथ्य में किशोर - किशोरियों सहित जागृत मातृ शक्ति ने शानदार कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। 11 वर्षीय स्नेहा सिंह ने गणेश वंदना पर सधे हुए ताल में नृत्य किया। 14 वर्ष के कृष्णा ने बांसुरी पर राग यमन, भैरव व कल्याण की मधुर धुन ने सबको मुग्ध कर दिया। पुनः स्नेहा व खुशी ने जुगलबन्दी में 'नगरी हो अयोध्या सी..' गीत गाया। स्थानीय मातृ शक्तियों ने विभिन्न देवी गीत गाए।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश

   

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