रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज को संतों ने दी श्रद्धांजलि

हरिद्वार, 10 अप्रैल (हि.स.)। रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज को संतों ने श्रद्धांजलि दी। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम कनखल के सचिव स्वामी दयामूर्त्यानन्द महाराज ने कहा कि स्वामी स्मरणानंद महाराज का जीवन ईश्वर केंद्रित था। उन्होंने निस्वार्थ भाव से समाज के लिए कार्य किया।

स्वामी दयामूर्त्यानन्द महाराज ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य रचित एक श्लोक स्वामी स्मरणानंद महाराज को बहुत प्रिय था। महाराज श्री का कहना था कि अगर कोई राजा हो या साधु संतों का मुखिया हो यदि उसे आत्म साक्षात्कार नहीं हुआ तो राजा या मुखिया होने से कोई नहीं फर्क पड़ता है।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे स्वामी हरिहरानंद महाराज ने स्वामी स्मरणानंद महाराज के जीवन काल के कुछ मुख्य पहलू बताए। उन्होंने कहा कि स्वामी स्मरणानंद महाराज रामकृष्ण मिशन मुंबई आश्रम के स्वामी अपर्णानन्दजी के संपर्क में आए और 1962 में वे रामकृष्ण मिशन में सम्मिलित हुए । वह चेन्नई केंद्र के सचिव भी रहे और 2007 में रामकृष्ण मिशन संघ के उपाध्यक्ष चुने गए। 10 साल सेवा देने के बाद फिर वह अध्यक्ष चुने गए और 7 वर्ष तक अनासक्त भाव से संघ की सेवा करते हुए वे रामकृष्ण मिशन संघ के 16 वें अध्यक्ष के रूप में पूरे देश में चल रहे सेवा प्रकल्पों की देखरेख करते रहे ।

स्वामी सुविज्ञेयानन्द ने अपने संस्मरण में कहा कि रायपुर आश्रम में 1983 में जब उनकी मुलाकात स्वामी स्मरणानन्द से हुई तो उन्होंने सरस्वती मां के रूप का महत्व बताते हुए कहा कि उनके बाएं हाथ में पुस्तक और दाएं हाथ में जपमाला होती है जो यह इंगित करती है कि भौतिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान दोनों जीवन के महत्वपूर्ण अंग है।

गुरुग्राम से आए स्वामी शांतात्मानंद महाराज ने कहा कि सहज रूप में अनासक्त भाव से स्वामी स्मरणानंद महाराज कार्य करते थे।

महंत गुरमीतसिंह महाराज, निर्मल संतपुरा के अध्यक्ष संत जगजीत सिंह महाराज, महंत रविदेव शास्त्री आदि ने स्वामी स्मरणानंद महाराज को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत/सत्यवान/रामानुज

   

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