1000 से अधिक किडनी प्रत्यारोपण कर बनाया रिकार्ड, जेपी हास्पिटल दे रहा जीवनदान

- भारत में प्रतिवर्ष हो रहे करीब 12000 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट

- किडनी दान को लेकर जागरूकता की कमी, अंगदान से आठ लोगों की बचेगी जान

देहरादून, 14 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली एनसीआर में नोएडा स्थित मल्टी सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सा संस्थान जेपी हास्पिटल ने प्रत्यारोपण चिकित्सा 1000 से अधिक सफल किडनी प्रत्यारोपण कर उपलब्धि हासिल की है। खास बात यह है कि पूरे दिल्ली एनसीआर में जेपी हास्पिटल में अंगों का प्रत्यारोपण उचित कीमत पर किया जाता है। दुनिया भर से आए मरीजों का सफल किडनी प्रत्यारोपण कर विश्वास के साथ विदेश में भी हास्पिटल ने एक सम्मानजनक स्थान हासिल किया है।

जेपी हास्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट डायरेक्टर डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट ने रविवार को सुभाष रोड स्थित एक सभागार में मीडिया से अपनी उपलब्धि बताई। उन्होंने कहा कि भारत में हर वर्ष लगभग 12 हजार से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे हैं। खराब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रसित है। जब किडनी की कार्यक्षमता केवल 10 प्रतिशत रह जाती है तो उस अवस्था को किडनी फेल्योर कहते हैं। ऐसे में मरीजों के पास केवल डायलिसिस या प्रत्यारोपण का ही रास्ता बचता है। हालांकि लोगों में किडनी दान को लेकर जागरूकता की कमी है। एक अंग दान से आठ लोगों की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए जागरूकता जरूरी है।

अत्याधुनिक पद्धति से किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा-

जेपी हॉस्पिटल में अत्याधुनिक पद्धति से किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा होने से मरीजों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस पद्धति से दाता (डोनर) की किडनी को दूरबीन के जरिए शरीर से हटाया जाता है, जिसका सबसे अधिक लाभ यह होता है कि दाता (डोनर) को बहुत ही कम तकलीफ होती है और उसे हॉस्पिटल से जल्द छुट्टी मिल जाती है। इसके साथ ही यहां डोनर विथ मल्टीपल वैसल्स (किडनी में अधिक नसों का होना), बच्चों की किडनी का प्रत्यारोपण, अनमैच्ड ब्लड ग्रुप के बीच प्रत्यारोपण (एबीओ इंकंपैटिबल) एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता में असंतुलन वाले मरीजों की किडनी का भी सफल प्रत्यारोपण किया गया है। खास बात यह है कि डाक्टर्स टीम ने कांस मैच्ड पॉजीटिव प्रत्यारोपण, एबीओ इंकंपेटिबल ट्रांसप्लांटेशन के साथ एक रोगी का दूसरी या तीसरी बार भी सफल प्रत्यारोपण किया है।

पेन किलर किडनी की बीमारी का मुख्य कारण-

डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट ने कोनिक किडनी फेल्योर के बारे में कहा कि वर्तमान का चिकित्सकीय शोध यह बताता है कि किडनी की बीमारी के मुख्य कारणों में मधुमेह, रक्तचाप, नेफ्रैटिस, बिना चिकित्सक के सलाह के पेन किलर एवं अन्य दवाइयों का सेवन करना। जब किडनी की बीमारी लाइलाज अवस्था में पहुंचे तो मरीज को प्रत्यारोपण करा लेना चाहिए। इससे जीवन भर डायलिसिस कराने से मरीज को मुक्ति मिल जाती है। साथ ही कई और लाभ भी मिलते हैं। आर्थिक रूप से भी मरीज को राहत मिलती है। जितनी राशि एक वर्ष में डायलिसिस कराने में मरीज खर्च करते हैं, उतने पैसे में ही पूरा ट्रांसप्लांट हो जाता है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी दिनचर्या पूरी कर सकता है। बच्चों के मामले में यह और भी अधिक लाभकारी है। प्रत्यारोपण के बाद बच्चों के शरीर का विकास सही तरीके से होता है।

शुगर और किडनी के लिए फायदेमंद है मिलेट्स-

जेपी हास्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट डायरेक्टर ने शुगर, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक से बचाव के भी सुझाव दिए। मिलेट्स शुगर और किडनी के लिए फायदेमंद है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज

   

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