परोपकार का जीवंत स्वरूप, मानव एकता दिवस : सुदीक्षा

हरिद्वार, 24 अप्रैल (हि.स.)। निरंकार प्रभु ने हमें यह जो मानव जीवन दिया है, इसका प्रत्येक पल मानवता के प्रति समर्पित हो सके। परोपकार का ऐसा सुंदर भाव जब हमारे हृदय में उत्पन्न हो जाता है तब वास्तविक रूप में समूची मानवता हमें अपनी प्रतीत होने लगती है। फिर सबके भले की कामना ही हमारे जीवन का लक्ष्य बन जाता है। उक्त उद्गार माता सुदीक्षा महाराज ने मानव एकता दिवस के अवसर पर समस्त श्रद्धालु भक्तों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।

मानव एकता दिवस के अवसर पर रक्तदान शिविर में जनसमूह से माता सुदीक्षा ने कहा कि सेवा का भाव सदैव निष्काम ही रहा है। ऐसी भावना जब हमारे मन में बस जाती है तब हमारा जीवन वास्तव में मानवता के कल्याणार्थ समर्पित हो जाता है। रक्तदान, मानव जीवन को बचाने के लिए की जाने वाली एक ऐसी सर्वोपरि सेवा है, जिसमें परोपकार की निःस्वार्थ भावना निहित है।

संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा आज संपूर्ण भारतवर्ष के लगभग 207 स्थानों पर विशाल रूप में रक्तदान शिविर की श्रृंखलाओं का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 50,000 यूनिट रक्त संग्रहित हुआ।

हरिद्वार में शाहपुर शीतला खेड़ा ब्रांच में आयोजित रक्तदान शिविर में सभी रक्तदाताओं ने स्वैच्छिक भाव से 204 यूनिट रक्तदान किया। इस अवसर पर मिशन के भक्तों और युवा सेवादारों के लिए नि:संदेह प्रेरणा का स्रोत रहा।

गौरतलब है कि मानव एकता दिवस बाबा गुरबचन सिंह की मानवता के प्रति की गयी उनकी सेवाओं को समर्पित है, जिससे निरंकारी जगत का प्रत्येक भक्त प्रेरणा लेकर अपने जीवन का कल्याण कर रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/सत्यवान/रामानुज

   

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