युवाओं के काम से भारत को मिलेगी नई पहचान : प्रो. रेड्डी

*महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन**महाराणा प्रताप महाविद्यालय में 18वें समावर्तन समारोह का आयोजन*

गोरखपुर, 13 अप्रैल (हि.स.)। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो. कुंदुरु रामचंद्र रेड्डी ने कहा कि वर्ष 2047 तक हम सभी ने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस राष्ट्रीय संकल्प की सिद्धि और लक्ष्य की प्राप्ति में वर्तमान युवा पीढ़ी के द्वारा किए गए कार्य निर्णायक भूमिका निभाएंगे। आज के युवाओं द्वारा देखे गए नए सपने, नई सोच और उनके द्वारा किए गए काम भारत को दुनिया में एक नई पहचान दिलाने का काम करेंगे।

प्रो. रेड्डी रविवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर के 18वें समावर्तन संस्कार समारोह (दीक्षांत समारोह) को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समावर्तन संस्कार विद्यार्थी के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता हैं। यह ऐसा पड़ाव है जब आप अपनी शिक्षा हासिल करके, अपनी डिग्री प्राप्त करके, अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने निकल पड़ते हैं। इस यात्रा के लिए आपको तैयार करने में आपके गुरुजनों, माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसलिए आज का यह दिन उनके सामने अपनी कृतज्ञता और आभार व्यक्त करना, आपकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होना चाहिए।

प्रो. रेड्डी ने कहा कि ज्ञान-विज्ञान के बढ़ते आयामों के साथ आज यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी संस्कृति एवं संस्कारों को संजोकर रखें। समावर्तन संस्कार का मूल ही हमें अपनी संस्कृति एवं संस्कारों से जोड़े रखता है। आज के बदलते हुए परिवेश में विद्यार्थियों का यह कर्तव्य है कि वे इस बदलते हुए सामाजिक परिवेश के साथ अपने ज्ञान आधारित सामंजस्य को बेहतर तरीके से स्थापित करें। विद्यार्थी जीवन की सफलता इस तथ्य में निहित है कि वो अपने अर्जित ज्ञान के आधार पर समाज के उन्नयन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद दशकों तक हमारे देश के युवा वर्ग को अपने सपनों को पूरा करने के लिए विदेश जाना पड़ता था, पर आज हमारे पास अपने सभी सपनों को पूरा करने के साधन और संसाधन दोनों हैं, जरूरत हैं तो सिर्फ संकल्प शक्ति की। आज समय बदल गया हैं, यह भारत का समय हैं। आज आप अपने इस देश में अपने भारत में रहकर कोई भी सपने देख सकते हैं और उन्हें अपने संकल्प और साधना से पूरा भी कर सकते हैं। शिक्षा हमें जीवन की आगामी चुनौतियों के लिए तैयार करती है।

प्रो. रेड्डी ने कहा कि जीवन में सर्वश्रेष्ठ की प्राप्ति तभी संभव है, जब आन्तरिक तथा वाह्य के मध्य संतुलन स्थापित किया जाए। अतः हमारी प्रकृति में सहजता एवं संतुलन का अनन्य समन्वय होना चाहिए। आज का यह समावर्तन संस्कार हमें उसी परम्परा से जोड़ता है। समावर्तन हमें इस रूप में दीक्षित करता है कि हम अपनी समस्त ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्दियों को अनुशासित कर सद्आचरण कर सकें।

समावर्तन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, सोनबरसा, आरोग्यधाम बालापार, गोरखपुर के कुलपति प्रो. सुरिंदर सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी देश में बड़ा बदलाव ला सकती है। युवाओं में हर चुनौतियों से लड़ने और उसका समाधान निकालने की क्षमता होती है। हम सबको अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को किनारे रख कर राष्ट्र धर्म सर्वोपरि की भावना रखना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में या तो आप परिवर्तन को प्रेरित करते हैं अथवा परिवर्तन आपको प्रेरित करता है। इसलिए विद्यार्थी अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित करें और एकाग्र होकर उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्राण-पण से जुट जाएं। इस दिशा में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् की भूमिका अविस्मरणीय है। नाथपंथ का समग्र दर्शन वास्तव में शिक्षा एवं ज्ञान के आधार पर समाज का कल्याण करने वाला श्रेष्ठ दर्शन है।

प्रो. सिंह ने कहा कि आज के शिक्षण संस्थानों का यह परम कर्तव्य है कि वह न सिर्फ किताबी ज्ञान से युक्त अपितु संस्कार आधारित शिक्षा, श्रेष्ठ जीवन मूल्य एवं आदर्शों से ओत-प्रोत जीवनोपयोगी गुणों से परिपूर्ण ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करें, जो समाज को सही दिशा दे सकें। इस दृष्टि से महाराणा प्रताप महाविद्यालय अत्यन्त सजगता एवं जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए एक आदर्श शिक्षा केन्द्र के रूप में विकसित होने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि भावी जीवन में निरंतर सीखने की भावना जागृत रखें और रि-स्किलिंग व अप-स्किलिंग पर विशेष ध्यान दें। साथ ही यह संकल्प लें कि जीवन के उतार-चढ़ाव और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों, ज्ञान और आचरण के उच्चतम प्रतिमानों का निष्ठा के साथ पालन करेंगे।

प्रो. सिंह ने कहा कि प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षा में अध्ययन के समापन के बाद घर वापस लौटने के लिए समावर्तन संस्कार होता था। आज का यह समावर्तन संस्कार समारोह उसी का एक रूप है। उन्होंने कहा कि समावर्तन एक भावनात्मक अनुबंध का प्रतीक भी हैं, जिसमें छात्र-छात्राएं अपने ज्ञान और मेधा के साथ गुरुजनों के बताए मार्ग पर चलने और राष्ट्र सेवा की शपथ लेते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

   

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