आरटीआई कार्यकर्ता बलविंदर सिंह ने जम्मू कश्मीर विश्वविद्यालय के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की

जम्मू 07 फरवरी (हि.स.)। प्रसिद्ध आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता एस बलविंदर सिंह ने सिविल सचिवालय में माननीय मुख्यमंत्री जनाब उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की। बातचीत के दौरान सिंह ने जम्मू कश्मीर विश्वविद्यालय की आम जनता को सीधे प्रभावित करने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत जानकारी साझा की। श्री सिंह द्वारा कई वर्षों से उचित अधिकारियों के समक्ष लगातार उठाए गए इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया जिससे जनता को लगातार परेशानी हो रही है।

सिंह ने जम्मू संभाग के स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सा अधिकारियों और गैर-राजपत्रित कर्मचारियों की भारी कमी के संबंध में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित अपनी जनहित याचिका पर माननीय मुख्यमंत्री को जानकारी दी। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग की नवीनतम स्थिति रिपोर्ट से पता चलता है कि स्वीकृत पदों 1390 के मुकाबले 726 चिकित्सा अधिकारी हैं जिससे 664 पद रिक्त हैं। इसी तरह स्वीकृत पदों 6888 के मुकाबले 4379 गैर-राजपत्रित और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं जिनमें 2479 पद रिक्त हैं। सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे इस गंभीर स्थिति को स्वीकार करें और उच्च न्यायालय तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग जेकेयूटी को सौंपे गए अपने सुझावों और सिफारिशों के अनुसार लोगों, खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में की पीड़ा को कम करने के उपाय करें। सिंह ने एचसीएम के साथ दस्तावेजी साक्ष्य भी साझा किए जिसमें दिखाया गया कि किस तरह सरकारी ई-मार्केट प्लेस के भीतर खरीदारों और विक्रेताओं के बीच गहरी सांठगांठ चल रही है जिसके परिणामस्वरूप हर साल राज्य के खजाने को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। श्री सिंह के अनुसार हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इस मुद्दे पर एक चेतावनी नोट जारी किया लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं बदला है। इसलिए उन्होंने और अधिक आवश्यक उपचारात्मक उपाय शुरू करने का अनुरोध किया है। सिंह ने एचसीएम को यह भी बताया कि कैसे लगभग हर बड़े सरकारी अस्पताल में खोले गए अमृत फार्मेसी ड्रग स्टोर सरकारी अस्पतालों को अत्यधिक दरों पर दवाएं आपूर्ति कर रहे हैं जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।

सिंह ने एचसीएम से आगामी आबकारी नीति 2025.26 में शराब की दुकानें खोलने के लिए धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों से 300 मीटर की दूरी अनिवार्य करने का प्रावधान शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह न केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता है बल्कि जनता की आस्था का सम्मान करने का नैतिक दायित्व भी है जिसे पिछली नीतियां 2022 में जम्मू-कश्मीर के माननीय उच्च न्यायालय में उनके द्वारा दायर जनहित याचिका के बावजूद संबोधित करने में विफल रहीं। इन मुद्दों के अलावा सिंह ने सिख समुदाय से संबंधित मामलों को संबोधित किया जैसे आनंद विवाह अधिनियम से दंड खंड को हटाना और इसका शीघ्र कार्यान्वयन। उन्होंने भारत के तत्कालीन गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी द्वारा अग्रेषित केस फाइल के निपटारे का भी आग्रह किया जो 13 जनवरी 1989 को सिख विरोधी दंगों के दौरान मारे गए 14 व्यक्तियों के परिजनों को अतिरिक्त अनुग्रह मुआवजा प्रदान करने से संबंधित है। यह मामला 2019 से सिविल सचिवालय में लंबित है। माननीय मुख्य मंत्री जनाब उमर अब्दुल्ला ने कार्यकर्ता को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर उचित विचार किया जाएगा तथा रोगी देखभाल प्रबंधन को बढ़ाने, जेकेयूटी के लोगों के कल्याण में सुधार लाने तथा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी

   

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