मतदाताओं की संख्या 20 लाख से अधिक, नए वोटरों में उत्साह

गोपालगंज।, 29 अप्रैल (हि.स.)। गोपालगंज लोक सभा क्षेत्र का चुनावी दंगल हमेशा से रोचक रहा है। इस बार भी मुकाबला रोचक होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ब्राह्मण बहुल गोपालगंज 1976 में सारण से अलग होकर जिला बना। वर्ष 2009 से यह संसदीय क्षेत्र एससी वर्ग के लिए सुरक्षित सीट बना है।

छह विधानसभा वाले इस क्षेत्र की खास बात है कि 1977 के बाद यहां हर बार नए चेहरे की तलाश की। 1962 से 1977 का दौर था जब वोटरों ने कांग्रेस के पं. द्वारिका नाथ तिवारी को चार बार यहां का प्रतिनिधित्व सौंपा था। 1980 के चुनाव के लेकर 2014 तक 11 चेहरे बदले। 2019 के आसन्न चुनाव में भी प्रत्याशियों का चेहरा बदल गया है। इस बार एनडीए ने निवर्तमान सांसद जेडीयू के डॉ. आलोक कुमार सुमन को ही अपना प्रत्याशी बनाया है। उधर सीधी टक्कर देने के लिए महागठबंधन ने वीआईपी पार्टी ने नए चेहरा दाव लगाया है।

प्रेमनाथ उर्फ चंचल पासवान को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है। अब फैसला 25 मई को होगा कि यहां की जनता इन दो चेहरे में से किसे ताज सौंपती है। गोपालगंज संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। इन 6 सीटों में से 2 पर बीजेपी, 2 पर जेडीयू काबिज है जबकि दो सीट आरजेडी के खाते में है।

हिन्दुस्थान समाचार/ अखिला/चंदा

   

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