लोस चुनाव : ऋषि जलवान की नगरी जालौन से किसे मिलेगा जीत का आशीर्वाद

लखनऊ, 15 मई (हि.स.)। जालौन शहर तीन नदियों, यमुना, बेतवा और पहूज से घिरा हुआ है। कहा जाता है कि ऋषि जलवान के नाम पर इस जिले का नाम जौलान पड़ा था। इस क्षेत्र पर कभी ताकतवर शासक ययाती का राज हुआ करता था। इस क्षेत्र का जिक्र चीनी यात्री ह्यूनसांग की किताब में भी मिलता है। जालौन लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 45 जालौन में पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होगा।

जालौन संसदीय सीट का इतिहास

बुंदेलखंड की चुनिंदा लोकसभा सीटों में से जालौन में आजादी के बाद सबसे पहला चुनाव 1952 में हुआ था। जालौन, कानपुर देहात और झांसी को मिलाकर संसदीय क्षेत्र का परिसीमन किया गया है। आजादी के बाद से 1985 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। 1977 में जरूर जनता पार्टी के उम्मीदवार को सफलता मिली थी। तब से लेकर अभी तक 1999 में बसपा और 2009 में सपा को छोड़ दें तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) काबिज रही है। 1952 से लेकर 1957 तक दो-दो सांसद चुने गए। 1952 में संसदीय क्षेत्र जालौन-इटावा और 1957 में जालौन-हमीरपुर संसदीय रहने के दौरान जिले को दो-दो सांसद मिले।

1991 के चुनाव में जनता दल के राम सेवक भाटिया से भाजपा ने यह सीट छीन ली। भाजपा के गया प्रसाद कोरी पहली बार सांसद बने। इसके बाद 1996 और 1998 दोनों ही चुनावों में यहां भाजपा जीती और भानु प्रताप वर्मा सांसद बने। 1999 में यहां तख्ता पलट हुआ और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बृजलाल खाबरी यहां से जीते। साल 2004 के चुनाव में एक बार फिर से भाजपा ने वापसी की और भानु प्रताप सिंह जीते। 2009 में यहां पहली बार समाजवादी पार्टी (सपा) ने खाता खोला और घनश्याम अनुरागी चुनाव जीते। 2014 और 2019 के चुनाव में ये सीट भाजपा के खाते में गई और भानु प्रताप सांसद चुने गए। आज 34 साल बीत गए और इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी एक जीत के लिए तरस गई है। इस लोकसभा क्षेत्र में 16 बार चुनाव हुए जिसमें में 7 बार कांग्रेस और 6 बार भाजपा ने विजय परचम फहराया।

पिछले दो चुनावों का हाल

17वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के भानु प्रताप सिंह वर्मा को 581,763 (51.45%) वोट मिले तो बसपा के अजय सिंह पंकज को 423,386 (37.44%) वोट मिले। कांग्रेस के बृजलाल खाबरी तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 89,606 (7.92%)वोट ही मिले थे।

भानु प्रताप ने 158,377 मतों के अंतर से जीते। इस चुनाव में 11 लाख 29 हजार 955 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

इससे पहले 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर के बीच जालौन संसदीय सीट पर भी कमल खिलने में कामयाब रहा। भाजपा प्रत्याशी भानु प्रताप ने बसपा के उम्मीदवार बृजलाल खाबरी को 2.87 लाख मतों के अंतर से हराया था। भाजपा प्रत्याशी को 548,631 (49.46%) और रनर रहे बसपा प्रत्याशी खाबरी को 261,429 (23.57%) वोट मिले। सपा और कांग्रेस तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने मौजूदा सांसद एवं मोदी सरकार के राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा पर भरोसा जताया है। इनका मुकाबला गठबंधन में सपा के उम्मीदवार नारायण दास अहिरवार से होगा। नारायण दास करीब एक-डेढ़ साल पहले बसपा से सपा में आए थे। बसपा ने सुरेश चंद्र गौतम को प्रत्याशी बनाया है।

जालौन सीट का जातीय समीकरण

जालौन संसदीय सीट में करीब 20 लाख वोटर हैं। इस सीट पर अनुसूचित जाति का फैक्टर काफी मायने रखता है। यहां 45 फीसदी एससी वोटर्स हैं। इसके बाद ओबीसी वोटर्स की संख्या 35 और सामान्य 20 फीसदी हैं। वहीं डेढ़ लाख कुर्मी है तो सवा लाख की संख्या में मुसलमान आते है।

विधानसभा सीटों का हाल

जालौन लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें भोगनीपुर, माधोगढ़, कालपी, उरई (सुरक्षित) और गरौठा विधानसभा सीट है। भोगनीपुर सीट कानपुर देहात जिले में तो गरौठा सीट झांसी जिले में पड़ती है। शेष तीनों सीट जालौन जिले में पड़ती हैं। कालपी सीट सपा और शेष चारों सीटें भाजपा के खाते में हैं।

जीत का गणित और चुनौतियां

जालौन संसदीय सीट पर इस बार मुकाबला कड़ा होने वाला है। सपा-कांग्रेस का गठबंधन है। जबकि बसपा अकेले ही चुनाव लड़ रही है। ऐसे में हैट्रिक की आस लगाए भाजपा के लिए त्रिकोणीय मुकाबला होगा। भाजपा प्रत्याशी की चुनौती पार्टी के असंतुष्टों को साथ लेकर चलने की होगी। इसी तरह सपा प्रत्याशी के लिए भी चुनौतियां हैं। सपा के शीर्ष नेता दीपक यादव से नाराज बताए जाते हैं। ऐसे में यादव और मुस्लिम बहुल सीट पर दीपक का रुख देखने लायक होगा। पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद भाजपा प्रत्याशी डेढ़ लाख से ज्यादा वोट से जीता था। बसपा के लिए अपने कोर वोटबैंक दलित समुदाय को बचाए रखने की चुनौती है।

बुंदेलखण्ड की राजनीति के जानकार अशोक रैकवार के अनुसार, जालौन में मुकाबला त्रिकोणीय है। तीनों में से जो भी दल अपने वोट बैंक में सेंधमारी रोक पाएगा, वो जीत के उतना करीब पहुंच जाएगा।

जालौन से कौन कब बना सांसद

1952 लोटन राम (कांग्रेस)

1957 लच्छीराम (कांग्रेस)

1962 चौ0 राम सेवक (कांग्रेस)

1967 चौ0 राम सेवक (कांग्रेस)

1971 चौ0 राम सेवक (कांग्रेस)

1977 राम चरण (भारतीयत लोकदल)

1980 नाथू राम (कांग्रेस)

1984 लच्छी राम (कांग्रेस)

1989 राम सेवक भाटिया (जनता दल)

1991 गया प्रसाद कोरी (भाजपा)

1996 भानु प्रताप सिंह वर्मा (भाजपा)

1998 भानु प्रताप सिंह वर्मा (भाजपा)

1999 बृज लाल खाबरी (बसपा)

2004 भानु प्रताप सिंह वर्मा (भाजपा)

2009 घनश्याम अनुरागी (सपा)

2014 भानु प्रताप सिंह वर्मा (भाजपा)

2019 भानु प्रताप सिंह वर्मा (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/दिलीप

   

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