वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस की अपमानजनक टिप्पणी एक खानदान की चाटुकारिता: संजय श्रीवास्तव

रायपुर, 28 मई (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर कांग्रेस खेमे की ओर से सामने आई एक टिप्पणी पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि पाकिस्तान से कांग्रेस के लिए वोट की अपील कराने वाले कांग्रेस की अब यह राजनीतिक हैसियत नहीं रह गई है कि वे वीर सावरकर को लेकर बार-बार अपनी कुत्सित मानसिकता का प्रदर्शन करें।

श्रीवास्तव ने कहा कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर की पावन जयंती की बेला पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा वीर सावरकर को श्रद्धांजलि देते हुए किए गए ट्वीट पर कांग्रेस ने एक बार फिर वीर सावरकर को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करके एक खानदान की चाटुकारिता करके अपनी वैचारिक दरिद्रता का ही प्रदर्शन किया है।

मंगलवार को जारी अपने बयान में संजय ने कहा कि अपने राष्ट्र के लिए तिल-तिलकर अहना समूचा जीवन अमानवीय यंत्रणाओं के साथ समर्पित कर देने वाले महापुरुषों का स्मरण हमें अपने बलिदानी-इतिहास के गौरव के साथ जोड़ता है।

भाजपा प्रदेश महामंत्री ने कहा कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो हमेशा भारत-विरोधी दुश्मन देशों व लोगों से छिप-छिपकर मिलती और बातें करती रही है, पाकिस्तान से अपने लिए वोट की अपील करवाती है, चीन के लोगों से छिप-छिपकर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी मिलते हैं, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कांग्रेस एमओयू करती है, राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए रुपए लेती है और फिर झूठ बोलकर मिलने की बात से राहुल गांधी मुकर जाते हैं।

श्रीवास्तव ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि ब्रिटिश सरकार से जवाहरलाल नेहरू ने माफी मांगी थी। साल 1923 में नाभा रियासत में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश करने पर औपनिवेशिक शासन ने जवाहरलाल नेहरू को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। तब नेहरू ने भी कभी भी नाभा रियासत में प्रवेश न करने का माफीनामा देकर दो हफ्ते में ही अपनी सजा माफ करवा ली थी। जो लेफ्ट लिबरल गैंग सावरकर के माफीनामे पर शोर मचाता है वह नेहरू के माफीनामे पर एकदम चुप्पी साध लेता है। इतना ही नहीं, जवाहर लाल के पिता मोती लाल नेहरू उन्हें रिहा कराने के लिए तत्कालीन वायसराय के पास सिफारिश लेकर भी पहुंच गए थे। पर नेहरू का ये माफीनामा वामपंथी गैंग की नजर में बॉन्ड था और सावरकर का माफीनामा कायरता थी!

भाजपा प्रदेश महामंत्री ने कहा कि कांग्रेसियों को इतिहास में झांक लेना चाहिए कि क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर को महात्मा गांधी ने तो वीर बता दिया था। साथ ही उनके कैद में रहने पर चिंता भी जताई थी। गांधीजी ने कहा था 'अगर भारत इसी तरह सोया पड़ा रहा, तो मुझे डर है कि उसके ये दो निष्ठावान पुत्र (सावरकर के बड़े भाई भी कैद में थे) सदा के लिए हाथ से चले जाएंगे।’

श्रीवास्तव ने कहा कि वीर सावरकर जैसे महान क्रांतिकारी को कायर और अंग्रेजों के आगे घुटने टेकने वाला साबित करने की साजिश क्यों रची गई? दरअसल काले पानी की सजा काट रहे वीर सावरकर को इस बात का अंदाजा हो गया था कि सेल्युलर जेल की चारदीवारी में 50 साल की लंबी जिंदगी काटने से पहले की उनकी मौत हो जाएगी। ऐसे में देश को आजाद कराने का उनका सपना जेल में ही दम तोड़ देगा. लिहाजा एक रणनीति के तहत उन्होंने अंग्रेजों से रिहाई के लिए माफीनामा लिखा। इसी माफीनामे को आधार बनाकर सावरकर को कायर साबित करने की दम भर कोशिश वामपंथियों ने की।

श्रीवास्तव ने कहा कि जहां तक वीर सावरकर की बात है तो कांग्रेस ने उन्हें लेकर मिथ्या प्रलाप करके भ्रम फैलाने का प्रयास किया है और यही वजह है कि देश की जनता कांग्रेस से घृणा कर रही है। जवाहरलाल नेहरू ही नहीं, बल्कि फर्जी सीडी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक अपनी गिरफ्तारी के बाद जमानत नहीं लेने की डींगें हाँका करते थे, पर दो दिन बाद ही जमानत लेकर बाहर आ गए थे।कांग्रेसियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि कौन डरपोक है और कौन नहीं है? श्री श्रीवास्तव ने नसीहत दी है कि शीशे के घर में रहकर दूसरों के घरों पर पत्थर उछालने की विकृत मनोदशा से कांग्रेसियों अब बाज आ जाना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा/प्रभात

   

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