बड़वानी जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग ने केन्द्र सरकार के निर्देशों को दरकिनार कर मांगे आवेदन

- चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन को फिर लाभ पहुंचाने की तैयारी

भोपाल, 7 जनवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश की राजधानी में ईसाई संस्थान के ‘अवैध’ बालिका गृह से 26 बच्चियां गायब होने एवं सरकार के उनके मिलने के दावों से जुड़ा मामला जहां अभी शांत भी नहीं हुआ है कि फिर एक बार केंद्र की गाइड लाइन को धता बताते हुए जारी किए गए बड़वानी जिले के एक विज्ञापन ने फिर से ऐसी ही आशंकाओं को जन्म दे दिया है। रविवार (7 जनवरी) को बड़वानी के समाचार पत्रों में कलेक्टर (महिला एवं बाल विकास) विभाग द्वारा प्रकाशित विज्ञापन में बाल आपात सेवा (चाइल्ड लाइन) के संचालन को सुगम बनाये जाने एवं कार्य दायित्वों का निर्वहन करने के लिए स्टाफ, कर्मचारियों की सेवाएँ प्राप्त करने हेतु अनुभवी एवं योग्य अशासकीय संस्था या संगठन से आवेदन आमंत्रित किये गए हैं।

संस्था अथवा संगठन के चयन के लिए संस्था को मध्य प्रदेश फर्म एंड सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1973 के तहत पंजीकृत होना एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने का कम से कम तीन वर्ष का अनुभव होना आवश्यक बताय गया है। आवेदन की अंतिम तिथि 15, जनवरी 2024 बताई गई है।

इस विज्ञापन से अनेक आशंकाएं सामने आने लगी हैं और कहा जाने लगा है कि इसमें कोई सावधानी नहीं रखी गई है और इससे पुरानी एनजीओ, जोकि इस क्षेत्र में पहले से कार्य कर रही हैं और जिनके पास पूर्व में चाइल्ड लाइन चलाने का अनुभव रहा है, वे आवेदन करेंगी और उन्हें ही फिर एक बार इस 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन संचालन कार्य को दे दिया जाएगा। विशेषकर चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन जैसी अनेक संस्थाएं भी इसमें आवेदन कर सकेंगी, जो देश विरोधी, केंद्र सरकार की योजनाओं का विरोध करने वाली और मतान्तरण के खेल में संलिप्त पाई जा चुकी हैं। पांच साल चले लम्बे प्रयासों एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल के बाद केंद्र की सरकार इस निर्णय पर पहुंच सकी थी कि चाइल्ड लाइन इण्डिया फाउण्डेशन से 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन का काम वापिस ले लिया जाए।

केंद्र ने दिए हैं निर्देश, राज्य सरकार अपने स्तर पर चलाए सीधे 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन

इस संबंध में नई गाइड लाइन जारी करते हुए इसे संचालन करने का कार्य राज्य महिला बाल विकास विभाग द्वारा सीधे तौर पर करने के लिए निर्देशित किया गया। इस तरह से एनजीओ के हाथों में 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन न रखते हुए राज्य सरकार इसका संचालन अपने से भर्ती कर नए सिरे से करे, यह कहा गया। इसके साथ ही व्यवस्था का संचालन सीधे राज्यों में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाए के निर्देश दिए गए हैं। बड़वानी जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग का यह विज्ञापन केन्द्र सरकार ने निर्देशों की सीधे तौर पर अवहेलना करता है।

मप्र के अधिकारी नहीं मानें तो एनसीपीसीआर जाएगा सक्षम न्यायालय

इस मामले में जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो से बात की गई तो उन्होंने कहा, ''केंद्र सरकार की गाइडलाइन को दरकिनार कर कार्य करना राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए ठीक नहीं है। यदि राज्य सरकार के अधिकारी इसी प्रकार से मनमानी करेंगे तो राष्ट्रीय बाल आयोग को सक्षम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।''

हिन्दुस्थान समाचार/ ड़ॉ. मयंक चतुर्वेदी/जितेन्द्र/पवन/मुकेश

   

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