बच्चों को प्राकृतिक खान-पान की जानकारी आवश्यक : सतीश राय

प्रयागराज, 08 जनवरी (हि.स.)। हमारे ऋषि मुनि स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक रहन-सहन एवं खान-पान का प्रयोग कर स्वस्थ रहते थे। इसकी बेसिक जानकारी सबको हो तो देश स्वस्थ एवं मानसिक रूप से बलशाली बनेगा। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इसकी शुरुआत बच्चों से ही करनी होगी। स्कूलों में बच्चों को योग, ध्यान एवं आयुर्वेद की बेसिक जानकारी देनी होगी। तभी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ रहेगी। अन्यथा, आने वाले समय में लोगों को अपनी कमाई का 30 से 40 प्रतिशत धन बीमारियों पर ही खर्च करना पड़ेगा।

यह बातें सोमवार को प्रसिद्ध स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने भेंट वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि मनुष्यों में रोगों से बचने की शक्ति होती है। जिसके कारण दवा न करने पर भी असंख्य रोगी अपने आप ठीक हो जाते हैं। बशर्ते, इसकी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा ऐसी होनी चाहिए जो शरीर के अंदर रोगों से लड़ने वाली सुरक्षा शक्तियों को कोई नुकसान ना पहुंचाए, बल्कि उन्हें ताकतवर बनाए। जिससे हमारी अंदरुनी सुरक्षा शक्तियां मजबूत कर रोगों को शरीर से भगा दें। यह कार्य स्पर्श ध्यान से भी सम्भव है।

सतीश राय ने कहा कि बड़े रोग व असाधारण बीमारियां शरीर में गलत उपचार और रोगों को दबाने के फलस्वरुप पैदा होते हैं। स्पर्श ध्यान करने पर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक चारों पक्षों की चिकित्सा एक साथ हो जाती है। आध्यात्मिक उपायों से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। वर्तमान में आध्यात्मिक ज्ञान का ना होना असाध्य रोगों का कारण बन रहा है। यदि हमें स्वस्थ रहना है और शरीर को प्राकृतिक रूप से बलशाली बनाना है तो बीमारियों को प्रारम्भिक स्टेज में ही प्राकृतिक रूप से ठीक करना चाहिए। अंत में उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में मनुष्य जल, अग्नि, मिट्टी, सूर्य, शुद्ध हवा, वनस्पतियों, छाल, पत्ती, खनिज, स्पर्श ध्यान, योग, उपवास से शरीर को स्वस्थ रखते हुए रोग तथा महामारी से अपनी रक्षा करता था। वर्तमान में इसका पतन हो चुका है।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित

   

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