भाषा समाज के निर्माण, विकास एवं सामाजिक सांस्कृतिक पहचान का एक प्रमुख साधन : राज्यपाल

लखनऊ, 13 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में शनिवार को लखनऊ के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का अष्टम दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ।

इस मौके पर राज्यपाल ने कलश में जलधारा अर्पण करके जल संरक्षण के संदेश के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया। समारोह में कुल 1184 उपाधियों का वितरण किया गया। शोध के लिए 32 शोधार्थियों ने उपाधि प्राप्त की।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने उपाधि एवं पदक प्राप्तकर्ताओं को जीवन में माता-पिता व गुरुजनों का महत्वपूर्ण योगदान बताते हुए कहा कि जब डिग्री लेकर घर जाएं तो माता-पिता का पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। गुरुजनों को उन्होंने कुम्हार की संज्ञा देते हुए कहा कि जिस प्रकार कुम्हार किसी सुंदर मटके को तैयार करने में आकार देता है उसी प्रकार गुरुजन भी अपने विद्यार्थियों को सुंदर आकार देने का कार्य करते हैं।

विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने युवाओं को ज्ञान की एक महान ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा बताते हुए कहा कि आने वाले 25 साल देश के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भाषा समाज को एक सजीव संबंध में जोड़ती है तथा यह समाज के निर्माण, विकास एवं सामाजिक सांस्कृतिक पहचान का एक प्रमुख साधन है। भाषा के मामले में देश को समृद्ध और अद्वितीय विशेषता धारण करने वाला देश बताते हुए उन्होंने कहा कि मातृभाषा के रूप में देश के हर राज्य के पास एक अनमोल खजाना है।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की एन0सी0सी0 कैडेट, वैष्णवी मिश्रा को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर निकलने वाली गणतंत्र दिवस परेड में सांस्कृतिक प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बधाई देते हुए कहा कि कठिन परिश्रम से अवसर प्राप्त होता है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र-छात्राओं को एनसीसी0 जैसे संगठनों में शामिल होना चाहिए, जिससे उनके अंदर राष्ट्र भाव पैदा हो। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी राष्ट्र को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस क्रम में उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभव भी साझा किये। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विद्यार्थी इतने भाग्यशाली हैं कि उन्हें विभिन्न आधुनिक सुविधाएं प्राप्त हो रही है। इन सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए।

राज्यपाल ने उपस्थित छात्र-छात्राओं से आह्वान करते हुए कहा कि जीवन लक्ष्यों में समाज कल्याण तथा परोपकार के मूल्यों का भी स्थान होना चाहिए तभी शिक्षा की सार्थकता सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अंत नहीं हो सकता है वह जीवन पर्यंत चलती है। उन्होंने भारत को प्रचुर विचार संपदा तथा सत्य सूत्रों की उपलब्धता वाला देश बताया।

इस मौके पर राज्यपाल जी द्वारा ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय के राम प्रसाद बिस्मिल पुस्तकालय के अतिरिक्त तीन तल, कंप्यूटर सेंटर, दिव्यांगजनों हेतु रैंप, ओपन थिएटर, सेल्फी प्वाइंट का लोकार्पण तथा शैक्षणिक भवन में लिफ्ट, सिविल एवं मैकेनिकल वर्कशॉप एवं लैब एवं सोलर पैनल का शिलान्यास किया गया।

समारोह को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने सभी विद्यार्थियों को जीवन में ऊंचाइयों को छूने के लिए तथा मुकाम हासिल करने के लिए बधाई दी तथा देश की सेवा करने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में माता, पिता और गुरु को देव स्थान प्राप्त है, इसमें राष्ट्र देवो भव को भी जोड़ना चाहिए।

समारोह में कुल 1184 उपाधियों का वितरण किया गया। शोध के लिए 32 शोधार्थियों ने उपाधि प्राप्त की। समारोह में कुल 138 पदक वितरित किए गए, जिसमें 57 स्वर्ण, 40 रजत व 41 कांस्य पदक शामिल थे। आज 74 छात्रों व 64 छात्राओं ने पदक हासिल किए। इसके साथ ही समारोह में पद्म भूषण प्रोफेसर कपिल कपूर जी को डी0 लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। राज्यपाल जी द्वारा बटन दबाकर सभी 1184 उपाधियां को डिजिलॉकर में अपलोड किया गया।

इस अवसर पर समारोह में प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी, स्थानीय अतिथि, जनप्रतिनिधि, कार्यपरिषद एवं विद्या परिषद के सदस्य, अधिकारी एवं शिक्षक तथा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/दीपक/राजेश

   

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