नेतृत्व समागम : प्रो. अनिल ने नवीन शिक्षण से विद्यार्थियों को आकर्षित करने का दिया सुझाव

लखनऊ, 16 फरवरी (हि.स.)। कक्षा में विद्यार्थियों की कम होती जा रही उपस्थिति पर शिक्षकों को ध्यान देना चाहिए। विद्यार्थियों को क्लास रूम में आकर्षित करने के लिए नवीन शिक्षण और मूल्यांकन विधियों को लागू करना चाहिए।

ये बातें राजस्थान के सीकर स्थित दीन दयाल शेखावटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल कुमार राय ने कही। वे विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान और लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम में बोल रहे थे।

एनआईपीईआर, रायबरेली की निदेशक प्रोफेसर शुभिनी सर्राफ ने फार्मास्युटिकल संस्थानों और उद्योगों के बीच सहयोग की कमी पर चिंता व्यक्त की। प्रोफेसर अनिल डी सहस्रबुद्धे ने एनएएसी के स्थान पर आगामी 'बाइनरी मान्यता' का उल्लेख किया, जिसमें एनएएसी क्रेडिट प्रणाली शामिल नहीं है और इसके स्थान पर स्तर हैं। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्य प्रदेश के कुलपति ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अंतिम वर्ष की 50 छात्राओं को एनआईआईटी भोपाल भेजकर और उनके क्रेडिट को सफलतापूर्वक विश्वविद्यालय प्रणाली में स्थानांतरित करके एक पहल साझा की।

यह सत्र एक अनोखा सत्र था, जिसमें कुलपति और विभिन्न उच्च शिक्षा के नेता शामिल थे। सत्र के अंत में प्रोफेसर जगदीश कुमार ने सभी से यूजीसी द्वारा विकसित यूटीएसएएच (उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी रणनीतियां और कार्यवाहियां) पोर्टल का पता लगाने का अनुरोध किया। इस पोर्टल का उद्देश्य एनईपी-2020 के कार्यान्वयन और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में इसकी रणनीतिक पहलों पर प्रभावी ढंग से नज़र रखना और समर्थन करना है।

ए.पी. सेन हॉल में 'डिकोडिंग मल्टी-डिसिप्लिनरी एजुकेशन' विषय पर एक अन्य समानांतर तकनीकी सत्र आयोजित हुआ। इसकी अध्यक्षता वीबीयूएसएस के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर नरेंद्र कुमार तनेजा ने की। प्रोफेसर तनेजा ने अंतःविषय की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया गया और कठोर शैक्षिक बाधाओं को दूर करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में इसके समावेश पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बहुविषयक शिक्षा उभरते शैक्षिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश

   

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