भगवान के प्रति भक्तों का समर्पण और उनकी दिव्य भक्ति का दर्शन : नंद किशोर पांडेय

मनोरंजन सदन में श्री भक्तमाल कथा का श्रवण कराते पंडित नंद किशोर पांडेय जी महाराज।मनोरंजन सदन में श्री भक्तमाल कथा का श्रवण कराते पंडित नंद किशोर पांडेय जी महाराज।मनोरंजन सदन में श्री भक्तमाल कथा का श्रवण कराते पंडित नंद किशोर पांडेय जी महाराज।मनोरंजन सदन में श्री भक्तमाल कथा का श्रवण कराते पंडित नंद किशोर पांडेय जी महाराज।मनोरंजन सदन में श्री भक्तमाल कथा का श्रवण कराते पंडित नंद किशोर पांडेय जी महाराज।

मुरादाबाद, 22 फरवरी (हि.स.)। श्री परिवार दिव्य महायज्ञ समिति ट्रस्ट के तत्वावधान में मनोरंजन सदन निकट रेलवे स्टेडियम में सात दिवसीय मां पीतांबरा बंग्लामुखी देवी महायज्ञ एवं श्री भक्तमाल कथा के सातवें व अंतिम दिन गुरुवार को प्रातः कालीन सत्र में श्री माँ पीताम्बरा बंग्लामुखी देवी महायज्ञ हुआ। अनुष्ठान श्री परिवार पीठाधीश्वर पंडित कृष्णा स्वामी के निर्देशन में आचार्य पंडित कामेश्वर मिश्र ने कराया।

सांध्यकालीन सत्र में श्री धाम मथुरा से पधारे पंडित नंद किशोर पांडेय महाराज ने श्री भक्तमाल कथा में कहा कि भक्त की भक्ति रूपी साधना ही भगवान को प्रतिष्ठित करती हैं। चारों युगों के भक्तों की श्रृंखला माला ही भक्तमाल हैं। श्रीभक्तमाल ग्रंथ के रचियता श्री नाभादास जी महाराज हैं। भक्तमाल कथा में भगवान के प्रति भक्तों का समर्पण और उनकी दिव्य भक्ति का दर्शन हैं। प्रभु अपने से अधिक भक्तों को आदर देते हैं। भगवान अपने भक्तों तथा संतों के हैं।

कथा वाचक ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में 'अहं भक्त पराधीनः' कहकर भगवान ने स्वयं भक्तों के आधीन होने की बात स्वीकारी हैं तथा गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा हैं मोते संत अधिक कर लेखा'। भगवान् स्वयं कह रहे हैं कि मुझसे भी अधिक मेरे संतों की महिमा हैं। उन्होंने आगे बताया कि ज्ञान, कर्म व भक्ति एवं इनके विभिन्न रसों में भीगे हुए भक्तों ने किस प्रकार इस भवसागर को सहजता से पार किया तथा भगवान् को अपने प्रेम पाश में बांध लिया, इसको समझने का साधन है श्रीभक्तमाल।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल /राजेश

   

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