गिरता भू-जल स्तर चिंता का विषय - डॉ. समित शर्मा

जयपुर, 27 फ़रवरी (हि.स.)। प्रदेश में गिरता भूजल स्तर चिंता का विषय है। जल संचयन सहित अन्य विधियों से भूजल स्तर में सुधार करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसके लिए अटल भूजल योजना मील का पत्थर साबित होगी, लेकिन इसके लिए योजना के तहत शत-प्रतिशत लक्ष्यों को हासिल करना होगा।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने यह बात मंगलवार को जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में अटल भूजल योजना के तहत आयोजित एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि राजस्थान के 17 जिलों के 38 ब्लॉक, 1132 ग्राम पंचायत में क्रियान्वित की जा रही अटल भूजल योजना के माध्यम से जन सहभागिता से गिरते हुए भूजल स्तर की रोकथाम के लिए सकारात्मक परिणाम लाने की आवश्यकता जाहिर की।

उन्होंने योजना के माध्यम से जल मांग एवं जल आपूर्ति आधारित कार्यों को समय पर पूर्ण किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। सभी सहभागी विभागों से आग्रह किया गया कि योजनान्तर्गत इस वित्तीय वर्ष एवं आगामी अवधि में प्रोत्साहन राशि का पूर्ण उपयोग एवं कन्वर्जेन्स राशि के कार्यों को पूर्ण कर अन्य राज्यों की तुलना में राज्य की स्थिति को बेहतर बनाए जाने के लिए अथक प्रयास करें।

एसपीएमयू अटल भू जल योजना के परियोजना निदेशक सूरजभान सिंह ने अटल भूजल योजना में प्रदेश में अब तक किए गए कार्यों, योजना की व्यावहारिक कठिनाइयां एवं योजना के सफल क्रियान्वयन के समाधान के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गई।

कार्यशाला में वक्ताओं ने राजस्थान में गिरते भूजल स्तर के प्रति चिंता जाहिर की। वक्ताओं ने योजना में राज्य में अब तक किये गये कार्यों, योजना की व्यवहारिक कठिनाइयों एवं योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई।

कार्यशाला में पदमश्री डॉ. श्याम सुन्दर पालीवाल, पिपलांत्री ग्राम पचांयत, राजसमन्द, श्याम प्रताप सिंह राठौड़, सरपंच ग्राम पंचायत-जाहोता, गुजरात के धरती फाउण्डेशन के अध्यक्ष मुकेश भाई प्रजापति तथा राजेन्द्र कीर, चित्तौडगढ़ के प्रगतिशील किसान भी इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर अपने-अपने क्षेत्र में किये गये जल संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन के लिए अभिनव कार्यों का अपना अनुभव साझा किया।

नोडल अधिकारी, एसपीएमयू, अटल जल डॉ. वीएन भावे ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यशाला में भाग लेने के लिए एनपीएमयू, एसपीएमयू, डीपीएमयू, डीआईपी, वीडब्ल्यूएससी, भूजल विभाग के अधिकारिगणों, प्रतिभागियों एवं मीडियाकर्मियों का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन अधीक्षण भूजल वैज्ञानिक, भूजल विभाग डॉ. विनय भारद्वाज द्वारा किया गया।

कार्यशाला में एनपीएमयू, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. राघव लांगर, परियोजना निदेशक प्रतुल सक्सेना सहित कृषि, उद्यानिकी, पंचायती राज, जलग्रहण एवं भू संरक्षण विभाग, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, वन, जल संसाधन आदि सहभागी विभागों के अधिकारियों ने शिरकत की। साथ ही राज्य एवं जिला नोडल अधिकारियों, राज्य, जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाईयों के अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ, अटल भूजल योजना के 38 ब्लॉकों से ग्रामीण जल स्वच्छता समिति के सदस्यगणों, जिला क्रियान्वयन इकाई व भूजल विभाग के अधिकारी सहित लगभग 750 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता कौशल/ईश्वर

   

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