डिजिटल कॉपीराइट अपराध और साइबर सुरक्षा जागरूकता को प्राथमिकता देने की जरूरत- ब्रिजेश सिंह

मुंबई, 21 मार्च (हि. स.)। पायरेसी वेबसाइट्स मैलवेयर फैलाने का प्रमुख माध्यम बन गयी हैं। उपभोक्ता सिर्फ पायरेटेड फिल्में या टीवी शो नहीं देख रहे हैं, वे अपने 'डिवाइस' के माध्यम से बड़ा खतरा मोल ले रहे हैं, वे यह न भूलें कि आपकी 'डिवाइस' 'कोई और नहीं, 'दूसरे आप' है। इसमें आपकी पहचान, आपके बैंकिंग विवरण, आपके दोस्तों और परिवार का विवरण शामिल है। जो बातें कई वर्षों से अस्पष्ट थीं, अब इस रिपोर्ट में उनका खुलासा हो गया है। सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के महानिदेशक और मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव ब्रिजेश सिंह ने कहा, आईएसबी रिपोर्ट इस बदलाव की शुरुआत है।आईएसबी द्वारा साइबर सुरक्षा पर एक व्यापक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन पर आधारित रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव ब्रिजेश सिंह, दक्षिण एशिया के लिए अमेरिकी बौद्धिक संपदा सलाहकार जॉन कॅबेका, क्षेत्रीय संचालन के प्रमुख नील गने और आईएसबी, 'इंस्टीट्यूट ऑफ डेटा साइंस' के प्रो. मनीष गंगवार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा मुंबई के वाणिज्य दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम में जारी की गयी।

इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक प्रो. गंगवार, ला ट्रोब यूनिवर्सिटी मेलबोर्न में साइबर सुरक्षा विभाग के कार्यकारी निदेशक प्रो. गंगवार, सहायक प्रो. डॉ. पॉल वाटर्स, कैरिन टेम्पल ने भी अपने विचार रखे। 'आईएसबी इंस्टीट्यूट ऑफ डेटा साइंस' के प्रो. गंगवार और डॉ. श्रुति मंत्री तथा ला ट्रोब यूनिवर्सिटी, मेलबर्न में साइबर सुरक्षा के सहायक प्रो. पॉल वाटर्स द्वारा लिखित कार्यक्रम का आयोजन 'द पाइरेसी-मैलवेयर नेक्सस इन इंडिया: ए परसेप्शन एंड एक्सपीरियंस एंड एम्पिरिकल एनालिसिस' कार्यक्रम का आयोजन वाणिज्य दूतावास, मुंबई में एलायंस फॉर क्रिएटिविटी एंड एंटरटेनमेंट (एसीई), आईएसबी इंस्टीट्यूट ऑफ डेटा साइंस (आईआईडीएस) और एसीई द्वारा यूनाइटेड स्टेट्स पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस (यूएसपीटीओ) के सहयोग से किया गया।

रिपोर्ट में पाया गया कि पायरेसी साइटों तक पहुँचने से मैलवेयर संक्रमण का खतरा 59 प्रतिशत अधिक है, जबकि वयस्क उद्योगों (एडल्ट इंडस्ट्री) के लिए 57 प्रतिशत और जुए से संबंधित विज्ञापनों के लिए यह खतरा 53 प्रतिशत है। 'वायरस टोटल' का उपयोग कर 150 वेबसाइटों के विश्लेषण से मैलवेयर, संदिग्ध गतिविधि, फि़शिंग प्रयास और स्पैम जैसे साइबर जोखिमों का पता चला। स्कैम पायरेसी वेबसाइटों के उपयोगकर्ताओं को मानक पायरेसी वेबसाइटों की तुलना में साइबर खतरों के संपर्क में आने का खतरा अधिक होता है।

भारत में ऑनलाइन पायरेसी मैलवेयर वितरण पायरेसी साइट ऑपरेटरों के लिए अतिरिक्त राजस्व पैदा करने में फायदेमंद रही है। भारतीय उपभोक्ता पायरेसी साइटों का उपयोग करते समय अपने वास्तविक साइबर जोखिम को कम आंकते हैं, इसलिए पायरेसी वेबसाइटों से जुड़े साइबर सुरक्षा खतरों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है । इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा आयोजित जमीनी स्तर पर धारणा एवं अनुभव अध्ययन (ग्राउंड परसेप्शन एंड एक्सपीरियंस स्टडी) से पता चला है कि पायरेसी वेबसाइटें भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं क्योंकि इनमें मैलवेयर संक्रमण का 59 प्रतिशत जोखिम है। विशेष चिंता की बात यह है कि 18-24 आयु वर्ग के उपयोगकर्ता जो इन प्लेटफार्मों पर सबसे अधिक जुड़े हुए हैं, उनमें साइबर खतरों के बारे में कम जागरूकता पायी गई। यह सर्वेक्षण 23 से 29 मई 2023 तक किया गया था। इसमें नेशनल ऑम्निबस के हिस्से के रूप में भारत से 1,037 उत्तरदाता शामिल हैं। भारत के वयस्क नागरिकों की आवृत्ति अनुपात के आधार पर जनसंख्या विशेषताओं के आधार पर 18 वर्ष से अधिक आयु की ऑनलाइन जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए डेटा को संतुलित किया गया था।

हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर

   

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