संस्कार भारती की पहल, उगते सूर्य को अर्घ्य देकर नववर्ष का प्रारंभ करेंगे काशीवासी

-सुबह 6:30 बजे वन्देमातरम् गायन के साथ कार्यक्रम का समापन

वाराणसी, 07 अप्रैल (हि.स.)। प्रतिपदा विक्रम संवत-2081 के पहले दिन मंगलवार (09 अप्रैल) को संस्कार भारती, काशी महानगर एवं भृगु योग (ब्रह्म चिन्ता प्रणाली) ट्रस्ट की ओर से शिवालाघाट पर ‘नव संवत्सर अभिसिंचन समारोह’ का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में सुबह पांच बजे धेय गीत (नृत्य) होगा, प्रात: 5:15 प्रभाती गायन, प्रात: 5:40 सूर्य अर्ध्यदान कर नव संवत का स्वागत वेद पाठ, डमरू वादन, शंख वादन, लोक नृत्य से किया जाएगा।

रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में संस्कार भारती, काशी महानगर के अध्यक्ष डॉ. केए चंचल, ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. जयन्त कुमार भादुड़ी, नव संवत्सर कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष डॉ. आर. वी. शर्मा ने संयुक्त रूप से यह जानकारी दी। पदाधिकारियों ने बताया कि कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रान्त के प्रांत प्रचारक रमेश का नवसंवत्सर पाथेय के बाद वन्देमातरम् गायन के साथ समापन होगा। पदाधिकारियों ने बताया कि नव संवत्सर के पहले दिन सम्पूर्ण भारत में प्रतिवर्ष लगभग एक हजार संस्कार भारती की इकाइयां कार्यक्रम आयोजित करती है। नव संवत्सर का यह कार्यक्रम काशी में सन 2000 से लगातार किया जा रहा है।

भारतीय संस्कृति में नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। भारतीय काल गणना के अनुसार वर्ष का प्रथम दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वह पुनीत दिवस है। जब सृष्टि का आरम्भ एवं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था। प्राचीन काल से ही नव संवत्सर का स्वागत हम चैत्र नवरात्र के रूप में शक्ति की उपासना और आध्यात्मिक उत्कर्ष के संकल्प के द्वारा करते आये हैं। उन्होंने बताया कि नव संवत्सर की यह अवधारणा अक्षुण बनी रहे, इस दृष्टि से संस्कार भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सभी आनुषांगिक संगठन तथा अन्य हिन्दू संगठन विभिन्न सांस्कृतिक-धार्मिक आयोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति के इस गौरवपूर्ण क्षण और सृष्टि के आरम्भ के उत्सव में परिवार सहित नयी पीढ़ी को भी शामिल होना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप

   

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