बिजली कंपनियों में रोज होती है समीक्षा, फिर भी कैसे हुआ 10 करोड़ का गबन

लखनऊ, 09 अप्रैल (हि.स.)। चार दिन पहले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में एक लेखाकार द्वारा 10 करोड़ का गबन करने को लेकर उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर सवाल उठाये हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि रोज विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा होती है। इसके बाद भी 10 करोड़ गबन हो गया और किसी को भनक भी नहीं लगी। यह कैसे संभव हो सकता है।

उपभोक्ता परिषद ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से सभी बिजली कंपनियों में वित्तीय पैरामीटर व इआरपी सिस्टम की स्पेशल ऑडिट करने की मांग उठाई है। परिषद ने कहा है कि महज छह वर्ष पहले विभाग में नौकरी पाने वाले लेखाकार ने कई वर्षों से 10 करोड़ का गबन किया। यह जांच का विषय है कि एक लेखाकार को इतना बड़ा वित्तीय अधिकार किसने दिया। उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग उठाई कि सभी बिजली कंपनियों में गबन घोटाला कोई नई बात नहीं, इसलिए भ्रष्टाचारियों पर ऑपरेशन क्लीन लगातार चलने की जरूरत है और कठोर से कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है। इस बात का भी खुलासा हो कि लेखाकार ने किस अभियंता अधिकारी के अकाउंट में डाल लाखों रुपया निकाला।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत चार दिन पहले पूर्वांचल डिस्कोम मुख्यालय के एक लेखाकार केशवेंद्र द्विवेदी एकाउंटेंट द्वारा 10 करोड रुपए से ज्यादा का गबन करके बिजली कंपनियों की पारदर्शिता और वित्तीय सिस्टम पर बडा कुठाराघात किया। अकाउंटेंट ने कई वर्षों से सरकारी कोस में जाने वाले लेबर सेस व अन्य धनराशि को सरकारी खजाने में ना जमा करके सीधे अपने अलग-अलग बचत खाते में ट्रांसफर कर लिया। सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला या रहा कि सरकारी कोष में जाने वाले लेबर सेस के जमा न करने पर जारी होने वाली सरकारी नोटिस को भी गायब करवाता था। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि लेखाकार कितना पावरफुल था कि सभी वित्तीय अधिकार इसी के जिमे थे। कोई मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं था।

उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि बिजली कंपनियों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लगातार ऑपरेशन क्लीन चलाया जाय। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस पूरे मामले पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसमें किस स्तर तक के अधिकारी दोषी हैं। सभी बिजली कंपनियों मे आए दिन समीक्षा बैठक होती है, रोज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती है और कंपनी मुख्यालय पर बैठे लेखाकार ने इतना बड़ा गबन कर लिया। किसी को भनक तक नहीं लगी। इसलिए यह बहुत गंभीर मामला है। इसको उदाहरण मानकर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को सभी बिजली कंपनियों पर जांच बैठना चाहिए। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि महक छह वर्ष पहले नौकरी में आए एक लेखाकार द्वारा इतना बड़ा गबन कैसे किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश

   

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