मां शीतला सिहावा में नवरात्र में लगती है भीड़

नवरात्र में लगती है श्रध्दालुओं की लगती है भीड़

धमतरी, 11 अप्रैल (हि.स.)। मां शीतला शक्तिपीठ सिहावा में स्थित आदिशक्ति भगवती मां शीतला की ख्याति दूर-दूर तक है। मां शीतला श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती है। माता का दर्शन-पूजन करने श्रद्धालु पहुंचते हैं।

प्रातः काल सबसे पहले पुजारीगण मंदिर का पट खोलकर, मंदिर गर्भ गृह की सफाई पश्चात, माताजी को स्नान करवाते हैं। नए वस्त्र पहनाया जाता है। श्रृंगार के पश्चात माता की शिलापर धोए हुए चावल का लेप किया जाता है, चावल का लेप से माताजी का मुकुट बनाया जाता है। तत्पश्चात चावल पर फूलों से श्रृंगार किया जाता है। पूजन, नैवेद्य, धूप, दीप, गुलाल से पूजन कर आरती की जाती है। आरती संपन्न होने पर पुष्पांजलि अर्पित कर क्षमा याचना की जाती है। यदि किसी व्यक्ति को अपने कार्य पूर्ण करने की मनोकामना हो तो वह व्यक्ति नाम, गांव आदि पुजारी को बताता है। पुजारी, माता जी के शिला पर पुष्प अर्पित करता है।श्री शीतल शक्तिपीठ सिहावा की जय मां शीतला धर्मात सेवा समिति के अध्यक्ष कैलाश सिंह पवार एवं नेमी सिंह बिसेन, बुद्धेश्वर साहू, नारद निषाद, नरेंद्र नाग, इंद्र लाल यादव ने बताया कि श्री शीतला शक्तिपीठ सिहावा मंदिर अष्ट कोण रूप में है। ऊंचाई 54 फीट है तथा गर्भगृह में लोहे का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर का गुंबद, कमल पुष्प के आकृति है,जिसमें सिहावा क्षेत्र भर से प्रत्येक घर से एक-एक मुट्ठी धन इकट्ठा किया और गुंबद के अंदर चार छोटे-छोटे कोठी का निर्माण कर, उसे कोठी में पांच रत्न, नगद मुद्रा एवं धान, गेहूं जवा रखा निर्माण किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/ रोशन सिन्हा

   

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