पूजा-अर्चना के साथ खुले सागिलानाग मंदिर के कपाट, ग्रामीणों ने किए दर्शन

गोपेश्वर, 23 मई (हि.स.)। चमोली जिले के देवाल विकास खंड के तलोर पदमला गांव के रागुडी तोक में स्थित सागिला नाग मंदिर के कपाट विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद ग्रामीणों के दर्शनार्थ खोले गए्। गांव के लोगों ने नाग देवता की सामूहिक पूजा अर्चना प्रदेश और क्षेत्र की खुशहाली की मनोकामना की।

गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा के शुभलग्नानुसार सागिला नाग देवता को कैल और पिंडर नदी के पावन जल से स्नान करवाया गया। पंडित हंसा प्रसाद मिश्रा ने मंदिर में वेद पाठी मन्त्रोंच्चारण कर यज्ञ हवन कर मंदिर के कपाट भक्तो के दर्शनार्थ खोले। मंदिर के पुजारी केदार सिंह रावत ने देव नृत्य कर फल फूल प्रसाद वितरण किया।

इस मौके पर व्यापार संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह रावत, कलम सिंह रावत, प्रताप सिंह, नरेंद्र रावत, रणजीत सिंह, गोपाल सिंह, भरत सिंह, खुशाल सिंह, केदार सिंह, भरत सिंह समेत युवक मंगल दल और महिला मंगल दल के लोग मौजूद थे।

क्या है मान्यता?

मान्यता है कि अपने आप को श्रेष्ठ करने के लिए सागिलानाग और वैधानाग के बीच शर्त लगी की जो कैल और पिंडर के संगम में स्नान कर पहले अपने मठ में पहुंच कर पहले शंख बजायेगा, वही विजयी माना जायेगा। लेकिन संगम से स्नान करते समय सागिला नाग अपनी धोती संगम पर भूल गया ओर फिर रागुडी नामक स्थान पर वापस धोती लेने लौट रहा था, तभी वैधा नाग ने अपने मठ से शंख बजा दी और गुस्से से सागिला नाग ने विशालकाय पत्थर को अपने फन से कस दिया। यहां पर आज भी उस पत्थर पर निशान मौजूद हैं। नाग को मनाने के लिए ग्रामीण बुद्ध पूर्णिमा को कपाट खोल कर गांव की रिद्धि सिद्धि के लिए पूजा प्रार्थना करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/रामानुज

   

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