योगी के खजाने पर भ्रष्ट अधिकारियों की नजर, कार्रवाई के बजाय मिली पदोन्नति

- पूरे प्रकरण की जांच हुई भ्रष्टाचार के संरक्षक बने अधिकारियों का भी बचना मुश्किल

लखनऊ, 01 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में अपराधियों को तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिट्टी में मिला दिया,लेकिन अफसर योगी की सोच को ही मिट्टी में मिलाने में जुटे हैं। शासन ने भ्रष्टाचार में लिप्त एक अधिकारी पर कार्रवाई करने के बजाय उसे पदोन्नति दी है।

उल्लेखनीय है कि सोच ईमानदार, काम दमदार...नारे के साथ योगी सरकार दोबारा सत्ता में आई है, मगर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला राज्य कर विभाग पर आए दिन भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। योगी के खजाने पर भ्रष्ट अधिकारियों की नजर पड़ गई है ऐसे अधिकारी योगी सरकार की जीरो टालरेंस नीति को फेल करने में जुटे हुए हैं। इन भ्रष्ट अधिकारियों की शासन में धमक भी है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने वाले भी हैं, जो गेहूं में घुन का काम कर रहे हैं और कार्रवाई की बजाय पदोन्नति मिल रही है।

आर्थिक विशेषज्ञ डा. जेएन गुप्ता कहते हैं कि योगी सरकार भ्रष्ट अधिकारियों के बूते उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था वन ट्रिलियन डालर बनाने की सोच आखिर कैसे साकार करेगी। यह तभी संभव है जब अफसरशाह ईमानदारी से काम करे।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले राज्य कर विभाग, जो भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में है। यह भ्रष्टाचार राज्य कर विभाग में एडिशनल कमिश्नर संजय पाठक से जुड़ा हुआ है। इस मामले में अन्य कई अधिकारी भी लिप्त हैं।

यह है अंदर का खेल

सूत्रों की मानें तो एडिशनल कमिश्नर संजय पाठक के करनामे से राज्य कर विभाग को करीब 1400 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति हुई है। टैक्स चोरी को लेकर एडिशनल कमिश्नर को विभाग ने निलंबित कर जांच शुरू करवायी थी। आईएएस अफसर ओपी वर्मा को राज्य मुख्यालय में ज्वाइंट कमिश्नर पद पर तैनात संजय पाठक की जांच सौंपी गई थी,लेकिन आरोप है कि वर्षों पुराने मामले की जांच में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूर्व अपर आयुक्त प्रशासन श्री वर्मा ने संजय पाठक को आरोप मुक्त कर भ्रष्टाचार के संरक्षक बन गए। इसके बाद अधिकारी का प्रमोशन एडिशनल कमिश्नर पद पर हो गया। यह भी आरोप है कि श्री वर्मा को 70 लाख रुपये रिश्वत मिली थी।

सूत्रों की मानें तो श्री पाठक की हनक इतनी है कि आरोप की जांच रिपोर्ट भी स्वयं ही तैयार करते हैं, जांच अधिकारी सिर्फ हस्ताक्षर करता है। सूत्र बताते हैं कि शासन में शीर्षस्थ पदों पर बैठे अधिकारियों का भी इन्हें संरक्षण प्राप्त है।

कार्रवाई की बजाय पदोन्नति

सूत्रों के मुताबिक शासन ने इस मामले में राज्य कर आयुक्त मिनिस्ती एस से आख्या मांगी तो आयुक्त ने भी जांच की संस्तुति कर दी। मामले की फाइल शासन के पास गई,लेकिन वहां भी कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि बुधवार को अपर आयुक्त ग्रेड-2 राज्य कर मुख्यालय लखनऊ से अपर आयुक्त ग्रेड-2 (वि.अनु.शा.) राज्य कर कानपुर जोन प्रथम कानुपर पदोन्नति मिल गई।

उल्लेखनीय है कि बुधवार की देर रात शासन से उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग में 23 एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 की सूची जारी हुई है, जिसमें नवपदोन्नत अधिकारियों को तैनाती मिली। सूची के अनुसार, संजय कुमार पाठक को भी पदोन्नति मिली है।

पदोन्नति में भी खेल, मलाई काटने पहुंचे कानपुर

आखिर संजय कुमार पाठक जैसे भ्रष्ट अधिकारी की तैनाती सर्वाधिक राजस्व देने वाले जोन के संवेदनशील पद पर कैसे कर दी गई। आयुक्त राज्यकार कर से संपर्क करने की कोशिश की किंतु वार्ता नहीं हो पाई। हालांकि मुख्यालय के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि संजय पाठक की तैनाती का प्रस्ताव आयुक्त मिनिस्टी एस ने गोंडा जैसे कम राजस्व देने वाले पद के लिए प्रस्तावित किया था,किंतु संजय पाठक ने अपने संबंधों,धन व धमक के बल पर कानपुर में प्रवर्तन हेड के पद पर अपनी तैनाती कराने में सफल हो गए।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/राजेश

   

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